चातुर्मास प्रारम्भ होने से पहले आज सोमवार को अंतिम विवाह मुहूर्त

0
29








हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): ब्रह्माण्ड में हो रहे ग्रह नक्षत्रों के परिवर्तन के साथ वृहस्पति के अस्त होने से इस बाऱ चातुर्मास प्रारम्भ होने के लगभग एक महीने पूर्व ही विवाह, गृहप्रवेश, उपनयन, मुंडन संस्कार , गृहारम्भ सहित समस्त मांगलिक शुभ कार्य बंद हो गए। चातुर्मास प्रारम्भ से पहले आज 09 जून सोमवार को अंतिम विवाह मुहूर्त है। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि 12 जून वृहस्पतिवार को सायंकाल बाद 7 बजकर 54 मिनट पर गुरु अस्त हो जायेंगे जो 27 दिन बाद 09 जुलाई बुधवार सुबह 4 बजकर 42 मिनट पर उदित होंगे निर्णय सिंधु, मुहूर्त चिंतामणि, ज्योतिष सागर आदि ग्रंथों में स्पष्ट बताया गया हैं कि गुरु के अस्त होने के साथ गुरु के बाल व वृद्धता व अतिचारी होने पर भी विवाह आदि शुभ मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए वृहस्पति उदय से पूर्व ही 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास प्रारम्भ हो जाएगा अतः अब 5 महीने से अधिक समय बाद ही इस वर्ष 18 नवम्बर से विवाह आदि मांगलिक शुभ कार्य पुनः प्रारम्भ होंगे चातुर्मास 06 जून रविवार आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से 01 नवम्बर कार्तिक शुक्ल एकादशी देवउत्थान एकादशी तक रहेगा भगवान श्रीहरि को उठाने के लिए पूजन, कीर्तन, जागरण कार्य 01 नवम्बर की रात्रि में जबकि उदयातिथि के कारण देव प्रबोधिनी एकादशी का व्रत 02 नवम्बर को रखा जाएगा चातुर्मास में धार्मिक कार्य जैसे मंत्र जप, व्रत -पूजा, यज्ञ, दान आदि का विशेष शुभ फल धर्मग्रंथों में कहा गया है पुराणों में भगवान विष्णु के शयनकाल के सम्बन्ध में दो मत कथा आती है एक कथा विष्णु पुराण, ब्रह्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने देवासुर संग्राम के बाद विश्राम की इच्छा व्यक्त की तो उसी समय से चार महीने क्षीरसागर में शयन करते है और दूसरी कथा वामन पुराण के अनुसार राजा बलि की भक्ति व दान से प्रसन्न होकर दिए गए वरदान के कारण भगवान श्री हरि चार महीने पाताल लोक में राजा बलि के यहाँ निवास करते है इसी समयकाल को चातुर्मास कहा गया है चातुर्मास में जो भी सदाचार, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान विष्णु व भगवान शिव की व्रत पूजा करता है वो समस्त पापों से मुक्त होकर समस्त सुखों को भोगने के बाद अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है ब्रह्म पुराण, स्कन्द पुराण, भविष्य पुराण आदि में इसका महत्व विस्तार से बताया गया है पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने कहा कि वृहस्पति तारा अस्त होने के कारण इस बाऱ 4 जुलाई को अबुझ मुहूर्त माने जाने वाले भड़ली नवमी पर भी विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं है एवं 02 नवम्बर के दिन भी सायंकाल तक त्रिपुष्कर योग होने ने विवाह कार्य को छोड़कर अन्य शुभ कार्य ही होंगे चातुर्मास के बाद इस वर्ष नवम्बर में 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29, 30 को तथा दिसंबर में 4, 10, 11 अर्थात कुल 12 विवाह मुहूर्त है 15 दिसंबर की रात्रि सूर्य के धनु संक्रांति होने व पौष मास लगने से खरमास का आरम्भ हो जाएगा जिससे पुनः सभी मांगलिक कार्य बंद हो जायेंगे जो 14 जनवरी 2026 मकर संक्रांति तक रहेगा।

होलसेल के दामों पर खरीदें बैटरी व सोलर पैनल: 6396202244





LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here