हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): वृक्ष के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। धर्मग्रंथों में मानव जीवन के लिए पर्यावरण रक्षा महत्वपूर्ण बताई गई है तथा ज्योतिष शास्त्र में भी सफल जीवन के लिए वृक्षों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा की बैठक राजेंद्रनगर स्थित प्रधान कार्यालय पर हुई जिसमें निर्णय हुआ कि महासभा द्वारा एक राशि एक पौधा -एक नक्षत्र एक पौधा अभियान के नाम से वृक्षारोपण किया जाएगा। महासभा अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा हेतु शासन के अधिकतम पेड़ लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तथा मनुष्य के पारिवारिक व व्यक्तिगत समृद्धि के लिए कुंडली के अनुसार राशि व नक्षत्र से संबंधित पौधा लगाने के लिए 01जुलाई से महासभा द्वारा निःशुल्क मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुसार पौधा लगाने से कुंडली के दोष दूर होंगे तथा अशुभ ग्रह भी अनुकूल शुभ फल प्रदान करेंगे। इससे पर्यावरण अच्छा होगा साथ ही पितरों को भी मुक्ति मिलती है जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। कमजोर शुभ ग्रह मजबूत होंगे एवं अशुभ ग्रह के दोष दूर होंगे।
परामर्श मंडल विद्वान पंडित ओमप्रकाश पोखरियाल एवं प्रचार मंत्री पंडित दुर्गाशरण वाजपेयी ने कहा कि वृक्ष मानव जीवन का प्रमुख आधार है। जीने के लिए आक्सीजन वृक्षों के द्वारा ही प्राप्त होती है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ।
पीपल एकमात्र वृक्ष है जो 100% आक्सीजन देता है। श्लोक – वटमूले स्थितो ब्रह्मा, वटमध्ये जनार्दनः वटाग्रे तु शिवो देव सावित्री वटसंश्रिता। अर्थात वटवृक्ष को देववृक्ष कहा गया है। इसके मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव महादेव स्थित रहते हैं। देवी सावित्री भी इसी वटवृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं महासभा व्रत पर्व विधिज्ञा अनिशा सोनी पाण्डेय ने बताया कि मत्स्य पुराण,भविष्य पुराण, शिव पुराण आदि धर्मग्रंथो में वृक्षारोपण करने से मिलने वाले पुण्य लाभ को विस्तार से बताया गया है पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, शमी, बेल, आवलां, गूलर, तुलसी, आम, कटहल, शीशम, जामुन, बड़हल, अशोक, महुआँ, कदम्ब, पारिजात, गुड़हल, केला, अर्जुन आदि वृक्षों को विशेष शुभ बताया गया है भविष्य पुराण के अनुसार जो व्यक्ति रास्तों के किनारे, मंदिरों के पास वृक्ष लगाता है वो अपने पूर्वजों को बड़े से बड़े पापों से मुक्ति दिलाता है जिससे पितरों के आशीर्वाद से उसका यश संसार में फैलता है। वृक्षों का जीवन में महत्व बताते हुए मत्स्य पुराण में एक श्लोक है, ”दशकूपसमा वापी, दशवापीसमो ह्रदः। दशह्रदसमो पुत्रो, दशपुत्रसमो द्रुमः।।” अर्थात- एक जलकुंड दस कुएँ के समान है, एक तालाब दस जलकुंड के समान है, एक पुत्र का दस तालाब जितना महत्व है और एक वृक्ष का दस पुत्रों जितना महत्व है परामर्श विद्वान पंडित संतोष तिवारी ने कहा कि मानव जीवन को सुखमय तथा पर्यावरण संतुलन बनाएं रखने के लिए राशि व नक्षत्र के अनुसार वृक्षारोपण अवश्य करें बरसात का मौसम पौधारोपड़ के लिए अनुकूल होता है। अतः महासभा 01 जुलाई से मार्गदर्शन के साथ लगाने के लिए पौधा भी उपलब्ध कराएगी। इस अवसर पर पंडित दुर्गाशरण को महासभा परिचय पत्र प्रदान किया गया तथा पंडित उमाकांत मिश्रा ने महासभा सदस्यता ग्रहण की, बैठक में समन्वयक पंडित अजय पाण्डेय, कोषाध्यक्ष पंडित मित्र प्रसाद काफ्ले, मंत्री पंडित देवी प्रसाद तिवारी, पंडित उमाकांत मिश्रा, पंडित वासुदेव शर्मा, पंडित जगदम्बा शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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