वैस्टर्न यू०पी० एनसीआरटी की नकली किताबों का गढ़ बना
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन जनपद मुजफ्फर नगर, मेरठ व हापुड़ एनसीआरटी की डुप्लीकेट किताबों की छपाई व बिकी के सबसे बड़े अड्डे बने है। यह पोल समय-समय पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई से खुली है। खास बात यह है कि हापुड़, मेरठ, मुजफ्फर नगर में अब तक पकड़ी गई नकली एनसीआरटी किताबों की फैक्टरी से मेरठ के धंधेबाजों की भूमिका प्रकाश में आई है।
यदि धंधेबाजों की कार्यप्रणाली पर नजर डाली जाए तो एक ही समानता नजर आती है। धंधेबाज पहले जगह किराये पर लेते है और फिर मशीनरी आदि फिट कर नकली किताबों का उत्पादन शुरू करते है। फैक्ट्री में आस-पास के मजदूरों में ही काम पर लगाया जाता है।
विक्रेता को मिलता है मोटा कमीशन- असली एनसीआरटी किताबों पर विक्रेता को 15-17 प्रतिशत तक कमीशन नकद भुगतान पर मिलता है, जबकि नकली किताबों पर एक साल की उधारी पर 40 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है।
वर्ष-2020 में नकली एनसीआरटी किताबों की फैक्ट्री मेरठ में पकड़ी गई तो धंधेबाजों ने हापुड़ के धीरखेड़ा में एक हजार वर्ग गज भूमि में एक गोदाम को 70 हजार का रुपए प्रति माह किराए पर लेकर नकली एनसीआरटी किताबों की छपाई का धंधा शुरु किया, जो किराए पर लेने के 9 माह बाद ही पुलिस ने पकड़ ली। हापुड़ फैक्ट्री के मालिक मेरठ के ही थे। इसके बाद तो मेरठ और मुजफ्फरनगर में पकड़ी गई नकली एनसीआरटी किताबों की फैक्ट्री ने यह साबित कर दिया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश एनसीआरटी की नकली पुस्तको का गढ़ बना है
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