आलू की फसल को झुलसा रोग से ऐसे बचाएं
हापुड,सूवि(ehapurnews.com):उत्तर प्रदेश में आलू, आम, केला एवं शाक भाजी फसलों की गुणवत्ता युक्त उत्पादन हेतु समसामयिक महत्व के रोगन व्याधियों को समय से नियंत्रित किया जाना नितांत आवश्यक है। मौसम विभाग द्वारा प्रदेश में तापमान में गिरावट कोरा की संभावना व्यक्त की गई है ऐसी स्थिति में औद्यानिक फसलों को प्रतिकूल मौसम में रोगों व व्याधियों से बचाए जाने हेतु उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा निम्नलिखित सलाह दी जा रही है।
वातावरण में तापमान में गिरावट एवं बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल पछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है प्रतिकूल मौसम विशेष कर बदलियुक्त बूंदाबांदी एवं नाम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है तथा फसल को भारी क्षति पहुंचती है। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारंभ होती है जो तीव्र गति से फैलते हैं। पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद दिखाई देती है।
बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से ज्यादा आर्द्र वातावरण एवं 10-20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है। जिससे दो चार दिन में सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है। इससे बचाव हेतु (कार्बोडाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्लू पी) 2.00 से 2.5 किग्रा० अथवा प्रोपिनेब 63% डब्ल्यू०पी०, 2 से 2.5 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव किया जाना चाहिए तथा माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में नियंत्रण के लिए दूसरे छिडकाव में फफूंदीनाशक के साथ कीट नाशक जैसे इमिडाक्लोप्रिड 17.1% एस०एल० 1.00 ली० 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से मिलाकर छिडकाव करना चाहिए। जिन खेतों में पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप प्रतीत हो रहा है ऐसी स्थिति में रोकथाम के लिए अन्त:ग्राही (सिस्टेमिक) फफूंदनाशक, मेटालेक्जिल युक्त रसायन 2.5 किग्रा० अथवा साईमोक्जेनिल फफूंदनाशक युक्त रसायन 2.0 किग्रा० 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करने की सलाह दी जाती है।
अन्य सब्जियॉं यथा- मिर्च, टमाटर, मटर आदि फसलों पर भी कम तापमान एवं कोहरा, पाला एवं बूंदाबादी से भारी नुकसान पंहुचता है। ऐसी स्थिति में किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि फसल को पाले से बचाने हेतु फसलों में नमी बनाये रखने हेतु समय-समय पर सिंचाई की जाये।यह जानकारी जिला उद्यान अधिकारी हापुड डा हरित कुमार ने दी।
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