झोलाछाप कर रहे असाध्य रोगों का इलाज
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ में कथित आयुर्वेद दवाओं के नाम पर अंगूठा टेक स्वयंभू चिकित्सक रोगियों का इलाज कर उन्हें ठगने में लगे हैं। ये ठग हापुड़ के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी सक्रिय हैं और अपने-अपने ठिकानों पर बोर्ड लगाकर तथा इश्तिहार वितरित कर रोगियों को इलाज के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। इन ठगों के कमीशनखोरे गांव-गांव, कस्बे-कस्बे और नगर-नगर फैले हैं। इन स्वयंभू चिकित्सका का जिला चिकित्सा मुख्यालय में पंजीकरण नहीं है। ये चिकित्सक, मधुमेह, कैंसर, पक्षाघात, गठिया, हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, यौन क्षमता बढ़ाने, मिर्गी दौरे, अधरंग, पोलियो, पत्थरी आदि का इलाज कर रहे हैं फिर भी चिकित्सा विभाग सोया है। आरोप है कि चिकित्सा विभाग के कर्मचारी लाखों रुपए प्रति माह की अवैध वसूली कर रहे हैं। हापुड़ के पास के गांव सीतादेई व भटियाना में स्वयंभू चिकित्सक घातक रोगों का ऐसे इलाज कर रहे हैं, जैसे उन्हें इन रोगों के निदान में महारथ हासिल हो। भोर होते ही इन ठिकानों पर रोगियों की भीड़ लग जाती है। लोग लग्जरी गाड़ियों में घातक रोगों से पीड़ित रोगियों को लेकर इन ठिकानों पर पहुंचते हैं। लोगों की बढ़ती हुई भीड़को देखकर गांवों के शहर में आयुर्वेद दवा विक्रेताओं की भी बाढ़ आ रही है। ठिकाने के चिकित्सक या तो स्वयं दवा देते हैं या फिर सेटिंग वाले स्टोर से दवा खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। ये चिकित्सक रोगियों को एक सप्ताह का नुस्खा 8-10 हजार रुपए में देते हैं। पीड़ित के एक-दो बार आने के बाद जब वह स्वयं को ठगा सा महसूस करता है, तो वह ठिकाने पर आना बंद कर देते हैं। इन ठिकानों पर इलाज कराने वाले लकवा, मधुमेह, पत्थरी, गठिया, कैंसर आदि के रोगी तो भगवान को प्यारे हो चुके हैं। अतरपुरा चौपला के निकट एक भवन की प्रथम मंजिल में एक अंगूठाटेक चिकित्सक खुलेआम यौन क्षमता बढ़ाने का दावा करते हुए युवक व युवतियों को आयुर्वेद दवाओं के नुस्खे बांट रहा है और बदले में उनसे धन बटोर रहा है। यह चिकित्सक बड़ा पत्रकार होने का भी रौब गांठता है। इसके अतिरिक्त अनेक पनवाड़ी, पंसारी तथा अन्य व्यवसायी हैं जो खुलेआम मधुमेह, पीलिया, काली खांसी, फालिज आदि के नुस्खे बांट रहे हैं और उन्होंने अपने ठिकानों पर बोर्ड लगा रखे हैं जिन पर लिखा है कि यहां अमुक रोग की दवा मिलती है। आयुर्वेद दवा के नाम पर ये चिकित्सक, रोगी को पौलीथीन अथवा आकर्षक रहे हैं।
पैकिंग में नुस्खा थमा देते हैं और शीशी में तेल और पीने का सीरप दे देते हैं यौन क्षमता बढ़ाने के नाम पर भी आयुर्वेद को बेचा जा रहा है। मजे की खास बात यह है कि कि इन दवाओं के पैक पर दवा निर्माता कंपनी का नाम, बैच नंबर, एमआरपी, बनाने की तिथि व एक्सपायरी तिथि भी अंकित नहीं होती है। यदि अंकित होती भी है तो इतनी अस्पष्ट होती है कि पढ़ने में भी नहीं आती। आरोप है कि स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग के कर्मचारी आयुर्वेद की आड़ में असाध्य रोगों का इलाज कर रहे अंगूठा टेकों से लाखों रुपए बटोर रहे हैं और उन्हें रोगियों ठगने के अवसर प्रदान कर रहे है।
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