रात भर बेचैन रहे बीएसए कार्यालय के दोनों रिश्वतखोर, अधिकारियों की भी उड़ी नींद
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ का बेसिक शिक्षा अधिकारी का कार्यालय रिश्वतखोरी का अड्डा बन गया है। यहां पर मंगलवार को मेरठ से आई एंटी करप्शन की टीम ने 70,000 रुपए की रिश्वत लेते कनिष्ठ सहायक बीएसए कार्यालय हापुड़ दीपेंद्र शर्मा और सहायक लेखाकार संविदा कर्मी बीएसए कार्यालय हापुड़ निखिल शर्मा को गिरफ्तार किया। रिश्वतखोरों के खिलाफ हापुड़ देहात थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। दोनों ही रिश्वतखोर रात को सलाखों के पीछे करवटें बदलते रहे। दोनों ही रिश्वतखोर बाहर आने के लिए छटपटा रहे हैं। लग्जरी जीवन जीने वाले दोनों रिश्वतखोरों को रिश्वत मांगते समय जरा भी शर्म नहीं आई जो पकड़े जाने पर मुंह ढक कर कैमरे से मुंह छिपाते हुए दिखाई दिए। आखिर किसके संरक्षण में रिश्वतखोरी का धंधा चल रहा था? यह सवाल बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि कार्यालय के कई अधिकारियों की नींद भी उड़ी हुई है जो बेहद घबराए हुए हैं।
गिरफ्तारी के समय कार्यालय छोड़कर चली गई बीएसए:
बेसिक शिक्षा विभाग जोकि छात्रों के भविष्य को संवारने में, उन्हें शिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है लेकिन अधिकारियों की शह पर शिक्षा विभाग अब उगाही का अड्डा बन गया है। अचंभे की बात तो यह है कि जिस समय एंटी करप्शन की टीम ने निखिल शर्मा और दीपेंद्र शर्मा को रंगे हाथों चाय के खोखे से गिरफ्तार किया। उस समय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपना कार्यालय छोड़कर चली गई।
रिश्वतखोरों के पास नहीं है स्कूल नवीनीकरण का अधिकार:
एक और बात आपको बता दें कि रिश्वत मांगने वाले कनिष्ठ सहायक और संविदा कर्मी को अधिकार ही नहीं है कि वह स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण करा सकें। ऐसे में किसके संरक्षण में दोनों रिश्वतखोरों ने रिश्वत मांगी? यह भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। पूछताछ में कई अफसरों के नाम भी आने की उम्मीद है।
19 को बीएसए ने किया था स्कूल का निरीक्षण:
चलिए आपको बताते हैं कि आखिर रिश्वत की यह पटकथा कैसे लिखी गई। दरअसल हापुड़ की बेसिक शिक्षा अधिकारी रितु तोमर ने दीपेंद्र शर्मा के साथ 19 अप्रैल को पिलखुवा के भविष्य पब्लिक स्कूल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद 23 अप्रैल को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात बाबू कपिल कुमार ने शिकायतकर्ता सुकुमार पहाड़ी से मोबाइल पर कहा कि आप बीएसए दफ्तर जाकर दीपेंद्र शर्मा से मिलो। उसके बाद पीड़ित दीपेंद्र शर्मा से मिला।
स्कूल प्रधानाचार्य को रिश्वतखोर ने फटकारा था:
24 अप्रैल को वह बीएसए कार्यालय में दीपेंद्र शर्मा से मिलने पहुंचे तो दीपेंद्र ने स्कूल की मान्यता समाप्त होने की बात कही और उन्हें फटकारना शुरू कर दिया। रिश्वतखोर ने तो पीड़ित को स्कूल बंद करने की धमकी ताकत दे डाली जिससे सुकुमार बेहद परेशान हो गए। दीपेंद्र के इशारे पर निखिल उन्हें कार्यालय से बाहर ले गया जिसके बाद निखिल ने उनसे स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण करने के बदले 70,000 रुपए रिश्वत के लिए मुंह फाड़ दिया जिसके बाद पीड़ित के होश उड़ गए। आरोपियों ने तो 29 अप्रैल तक रिश्वत लेने का अल्टीमेटम तक दे दिया।
पीड़ित ने की थी शिकायत:
शिकायतकर्ता बीएसए कार्यालय के चक्कर काट कर परेशान हो गया। वह दिन रात घबराने लगा लेकिन उसने रिश्वतखोरों का पर्दाफाश करने की ठानी और वह सीधे पहुंच गया मेरठ के एंटी करप्शन ब्यूरो के पास, उसने मामले की शिकायत की जिसके बाद एंटी करप्शन टीम ने आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया।
20 सदस्यीय टीम ने मारा छापा:
इसके बाद 20 सदस्य टीम हापुड़ पहुंची। एंटी करप्शन टीम के निरीक्षक मयंक अरोड़ा अपनी टीम के साथ मंगलवार की सुबह बीएसए कार्यालय पहुंचे जिनके इशारे पर पीड़ित ने सुबह करीब 11:00 बजे रिश्वतखोरों से संपर्क किया। दोनों ने उसे बीएसए कार्यालय के बाहर चाय की दुकान पर बुलाया। जैसे ही आरोपियों ने रिश्वत थामी तो एंटी करप्शन की टीम ने दोनों को दबोच लिया।
संपत्ति की भी हो जांच:
फिर क्या था रिश्वतखोरों के पसीने छूट गए, उनके दिल की धड़कनें बढ़ गई। पीड़ित को फटकारने वाला अब अपनी करतूतों का पर्दाफाश होने पर मुंह छुपाने लगा। जैसे ही मामले की जानकारी बीएसए को लगी तो वह भी कार्यालय से चली गई। आखिर किसकी शह पर रिश्वत की वसूली की जा रही थी? यह सवाल बना हुआ है। बीएसए कार्यालय से भ्रष्टाचार की बू रही है। मामले में शीर्ष अधिकारियों से भी कड़ी पूछताछ होनी चाहिए। साथ ही उनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए। फिलहाल के लिए इस एपीसोड में इतना ही… इसके आगे का एपिसोड हम जल्द ही लेकर आएंगे। जारी…..
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