
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): 01 नवम्बर शनिवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी, देवोत्थान एकादशी (प्रबोधनी एकादशी) को भगवान विष्णु जी क्षीरसागर में 4 महीने योगनिद्रा शयन के बाद जाग जाएंगे। इसके साथ ही समस्त शुभ मांगलिक कार्य जैसे गृहप्रवेश, मुंडन, उपनयन आदि प्रारम्भ हो जायेगा। हालांकि प्रथम विवाह मुहूर्त 18 नवम्बर को रहेगा। परन्तु कुछ लोग अबुझ मुहूर्त के नाम पर एकादशी को भी विवाह कार्य सम्पन्न करेंगे भारतीय ज्योतिष कर्मकांड के अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने एकादशी व्रत पूजन संशय को दूर करते हुए बताया कि एकादशी तिथि 1 नवम्बर को सुबह 9.12 बजे से शुरू होकर 2 नवम्बर को सुबह 7.31 तक रहेगा निर्णय सिंधु के अनुसार त्रयोदश्यां न लभ्येत द्वादशी यदि किञ्चन।उपोष्यैकादशी तत्र दशमी मिश्रिताऽपि च।। अर्थात त्रयोदशी में कुछ भी द्वादशी न मिले तो दशमीमिश्रित एकादशी में उपवास करे अतः द्वादशी तिथि के क्षय होने के कारण इस बार प्रबोधनी एकादशी व्रत पूजन ध्रुव योग व रवि योग में 01 नवम्बर को किया जायेगा तथा पारण 02 नवम्बर को सुबह 7.31 बजे के बाद होगा दशमी युक्त एकादशी व्रत का अन्य शास्त्र उदाहरण ‘पारणाहे न लभ्येत द्वादशी कलयाऽपि चेत्। तदानीं दशमीविद्धाऽप्युपोष्यैकादशी तिथिः ।।’ इति ऋष्यशृङ्गोक्तेश्च अर्थात ऋष्यश्रृंग ने कहा है- पारणा में द्वादशी एक कला भी न मिलती हो तो एकादशी (दशमीविद्धा एकादशी) में उपवास करे। समद्वादशिका में तो सबों की पूर्वा ही है, एक अन्य उदाहरण प्रथमेऽहनि सम्पूर्णा व्याप्याहोरात्रसंयुता। पूर्वा कार्या गृहस्थैश्च के अनुसार भी 01 नवम्बर को ही व्रत पूजन सही है प्रबोधनी एकादशी पर श्री विष्णु भगवान पूजन 01 नवम्बर सायंकाल के बाद किया जायेगा पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने बताया कि 01 नवम्बर को रात्रि 8.28 बजे से अशुभ भद्रा प्रारम्भ होने से पूजन शुभ मुहूर्त सायंकाल 5.29 बजे से रात्रि 8.28 बजे तक प्रदोष काल,ध्रुव योग, लाभ चौघड़िया, स्थिर लग्न में किया जायेगा क्योंकि मुहूर्त मार्तण्ड में लिखा है ” इयं भद्रा शुभ -कार्यषु अशुभा भवत.” अर्थात भद्राकाल में किए गए शुभ कार्य भी सदा अशुभ फल ही देते है, धर्म ग्रंथ पियूषधारा के अनुसार ” स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम, मृत्यु लोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी “. पूजन में भगवान विष्णु जी को आँवला, सिंघाड़ा, गन्ना, गुलाब व कमल पुष्प अवश्य चढ़ाना चाहिए आज से पांच दिनोंतक भगवान विष्णु के समक्ष देशी घी का दीपक जलाना चाहिए भगवान श्री विष्णु जी को जगाते समय इस मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए “उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज । उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु” ॥ अर्थात हे गोविन्द उठिए,उठिए , हे गरुडध्वज, उठिए, हे कमलाकांत निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिए। आज 01 नवम्बर से ही कार्तिक पूर्णिमा तक पांच दिनों का भीष्म पंचक व्रत स्नान भी प्रारम्भ होगा व्रत करने वालों को पाँच दिनों तक पूर्ण सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए भीष्म पंचक दिनों में ब्रह्मचर्य का भी पालन करें इन पाँच दिनों में निम्नः मन्त्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए-
“सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने। भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे” मान्यतानुसार भीष्म पितामह ने इसी पाँच दिनों में पाण्डवों को ज्ञान दिया था इसलिए इस व्रत को ‘भीष्म पंचक’ नाम से जाना जाता है जो भी इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है उसे मृत्यु के पश्चात् मोक्ष तथा उत्तम गति की प्राप्ति होती है पूर्व में किए गए संचित पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है तथा सदैव स्वस्थ बना रहता है भगवान की कृपा रहने से सदैव कल्याण होता है तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक किसी भी दिन किया जा सकता है कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी को विशेष शुभ होता है अतः 02 नवम्बर को किया जाएगा जबकि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अर्थात बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवम्बर को रहेगा इस दिन सूर्यास्त 5.27 के बाद मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों के मोक्ष हेतु दीपदान किया जाएगा विशेष रूप से इस दिन गढ़मुक्तेश्वर हापुड़ में महाभारत काल से चले आ रहे परम्परानुसार गत एक वर्ष में दिवंगत आत्मा के मोक्ष हेतु स्नान, आकाशदीप, दीपदान व दान निकट परिजनों द्वारा किया जाएगा कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, स्नान, दान 05 नवम्बर को रहेगा.
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