हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): उल्लास तथा रंगों का पर्व होली 13 मार्च को रात्रि 11.27 के बाद होलिकादहन से प्रारम्भ हो जाएगा। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने बताया कि पूर्णिमा 13 मार्च गुरुवार को सुबह 10.36 से पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र व साध्य योग में पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा के साथ शुरु हो रही है। भद्रा रात्रि 11.27 तक रहेगी तथा पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार को दोपहर 12.24 तक उत्तराभाद्रपद के साथ रहेगा। निर्णयसिंधु धर्मग्रन्थ में निर्णयामृत व ज्योतिर्निबंध के अनुसार फाल्गुन मास में प्रदोषव्यापिनी पूर्णिमा ही होलिका है।भद्राकाल में होलिकादहन अनिष्टकारक होता है। शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है “भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा। श्रावणी नृपति हन्ति, ग्रामं दहति फाल्गुन”।।अर्थात श्रावणी में भद्रा राजा का नाश तथा फाल्गुनी में नगर व राष्ट्र का नाश करती है अतः भद्रा समाप्ति के बाद 13 मार्च की रात्रि ही होलिकादहन किया जाएगा स्नान, दान की पूर्णिमा 14 मार्च को रहेगी होलिका पूजन 13 मार्च को पूर्णिमा लगने के बाद सुबह 10.58 से दोपहर 1.57 तक शुभ रहेगा पुनः दोपहर बाद 3.27 से सायं 6.25 तक किया जा सकता होलिका पूजन में उपले, नारियल, पान, सुपारी, अक्षत, जल, बतासा धूप, गंध, चना के साथ मिष्ठान चढ़ाना चाहिए साथ ही ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र जप करना चाहिए होलिकापूजन व दहन के समय मंत्र- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥ जप करते हुए होलिका की 7 बार परिक्रमा करें 14 मार्च को सुबह सिंह राशि में लगने वाला चन्द्रग्रहण भारत में दृश्यमान ना होने के कारण कोई सुतक मान्य नहीं होगा इस अवधि में स्नान, दान, मंत्रजप विशेष फलदायक रहेगा, 14 मार्च को सायं 6.50 बजे सूर्य के मीन राशि में जाने से एक महीनेतक खरमास रहेगा अतः सभी मांगलिक कार्य इस अवधि
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