कोरोना काल में दवा के नाम पर बेची जा रही थी खडिया

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हापुड़, सीमन (ehapurnews.com) :  एक तरफ जहां कोरोना काल में संक्रमित मरीज ज़िंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे तो वहीं दूसरी ओर कुछ लालची पैसे कमाने में लगे थे और दवा के नाम पर खड़िया बेच रहे थे। इसकी पुष्टि लखनऊ लैब ने कर दी है जिसके बाद ड्रग्स विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
बता दें कि इसी वर्ष जून में महाराष्ट्र एफडीए को फेविपिराविर के नाम की नकली दवाएं मिली थीं। दवा में फेविपिराविर का नाम इस्तेमाल किया जा रहा था जिसके अंदर खड़िया थी। महाराष्ट्र एफडीए को मिली जानकारी के अनुसार इसका उत्पादन हापुड़ के पास और मेरठ की धीरखेड़ा में स्थित एक फैक्ट्री में किया जा रहा था। मुंबई पुलिस ने खरखौदा पुलिस को लेकर धीरखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में कार्रवाई की और फैक्टरी पर सील लगा दी थी। हालांकि इस दौरान फैक्ट्री से ऐसी कोई दवाई बरामद नहीं हुई। टीम ने एक निजी अस्पताल और मेरठ के छीपी टैंक के एक मेडिकल स्टोर से यह दवाएं बरामद की जिसके नौ सैंपल जांच के लिए लखनऊ लैब भेजे गए थे जिनमें से चार सैंपलों की रिपोर्ट अब आई है। चारों सैंपल फेल हो गए। विभाग कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है।

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