हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): सनातन हिन्दू धर्म का पावन पर्व चैत्र शुक्ल पूर्णिमा श्री हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल शनिवार को मनाया जाएगा। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिर्विद पं0 के0 सी0 पाण्डेय ने बताया पूर्णिमा तिथि तड़के 3 बजकर 21 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इस बाऱ चैत्र पूर्णिमा का शनिवार के साथ संयोग होने से गंगा नदी स्नान, दान, श्राद्ध आदि करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होगा तथा चैत्र पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र में रंग बिरंगे वस्त्र (कपड़े) दान करने से अभागे व्यक्ति का भी भाग्य बन जाता है। चित्रा नक्षत्र 12 अप्रैल को सायं 6 बजकर 07 मिनट से प्रारम्भ होगा। धर्मग्रंथों में श्री हनुमान जी के जन्म के बारे में अलग अलग तिथि, समय, स्थान का वर्णन मिलता है। स्कन्दपुराण के वैष्णव खंड में माता अंजनी को चैत्र शुक्ल चित्रा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा को मेष के सूर्य में वायुदेव द्वारा पुत्र के रुप वरदान का उल्लेख मिलता है। वही बाल्मीकि रामायण में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी में स्वाति नक्षत्र में हनुमान जी का जन्म वर्णन है। उत्तर भारत में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को ही हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी का विधि विधान से पूजन कर हनुमान चालीसा, सुन्दरकांड, बजरंग बाण, हनुमान बाहुक आदि का पाठ करना चाहिए। इससे रोग, शोक, भय समाप्त होता है तथा शनि की पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है। शनि की साढ़ेसाती व ढैया से प्रभावित लोगों को इस दिन हनुमान जी की पूजा व दान आदि अवश्य करना चाहिए तथा हनुमान मंदिर में लाल पताका (झंडा ) लगवाना चाहिए, वायुपुराण के अनुसार संवत्सर में की हुई पूजा की सफलता के लिए चैत्र पूर्णिमा को सभी देवताओं की पूजा करें। विशेषरुप से शिवजी के पूजा का विधान है। इससे मनोकामना पूर्ण होती है। इस श्री सत्यनारायण व्रत कथा करने से भी उत्तम फल प्राप्त होगा। 14 अप्रैल को तड़के 3.21 बजे सूर्य के मेष राशि में आने से खरमास समाप्त हो जाएगा जिससे समस्त शुभ मांगलिक कार्य पुनः प्रारम्भ हो जायेंगे।
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