अखिल भारतीय जाट जनजागृति संगठन ने महाराजा सूरजमल का बलिदान दिवस मनाया

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अखिल भारतीय जाट जनजागृति संगठन ने महाराजा सूरजमल का बलिदान दिवस मनाया

हापुड़, सीमन/अशोक तोमर (ehapurnews.com): अखिल भारतीय जाट जनजागृति संगठन के चंडी रोड स्थित रामकिशन मार्केट कैंप कार्यालय पर महाराजा सूरजमल के 317 वें बलिदान दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें संगठन से जुड़े लोगों ने अपने विचार रखे वह बलिदान दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया।
राष्ट्रीय जाट संरक्षण समिति के राष्ट्रीय महासचिव व राष्ट्रीय युवा प्रभारी मनोज तेवतिया ने महाराजा सूरजमल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बतलाया कि महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा बदन सिंह था महाराजा सूरजमल कुशल प्रशासक,दूरदर्शी व कूटनीति के धनी सम्राट थे। महाराजा सूरजमल ने सन 1733 में भरतपुर रियासत की स्थापना की थी। सूरजमल ने भरतपुर के डींग में अभेद लोहागढ़ किले का निर्माण करवाया जिसे मुगल शासक व ब्रिटिश 13 बार आक्रमण करने के बाद भी किले को भेद नहीं पाए। यह देश का एकमात्र किला है जो हमेशा अभेद रहा महराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में 80 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। उस समय भरतपुर रियासत का विस्तार सूरजमल की वजह से भरतपुर के अतिरिक्त धौलपुर, आगरा,मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, इटावा,मेरठ, रोहतक, मेवात,रेवाड़ी, गुड़गांव, मथुरा तक पहुंच गया था। अपने जीवनकाल में वह कभी कोई युद्ध नहीं हारे और अंत में हर महान योद्धा की तरह महाराजा सूरजमल को भी वीरगति का सुख समर भूमि में प्राप्त हुआ। 25 दिसंबर 1763 को नवाब नजीबुद्दौला के साथ हिंडन नदी के तट पर घूमते हुए छल युद्ध में सूरजमल जी वीरगति को प्राप्त हुए। विचार गोष्ठी के अंत में सभी ने महाराजा सूरजमल के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए व एक सप्तहा तक बलिदान दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
मनोज तेवतिया,सुनील चौधरी,संजय,गोरी शंकर,बोबी,कुलवंत,अभिषेक, निष्कर्ष,संजू,रिंकू,आदि ने चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धासुमन श्रदांजलि अर्पित की।

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