त्रयोदशी तिथि सोमवार कल, जानिए महत्व











त्रयोदशी तिथि सोमवार कल, जानिए महत्व

हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): कार्तिक मास का सम्पूर्ण शुभ फल प्राप्त करने के लिए महीने के अंतिम 3 दिन का विशेष महत्व है स्कंद पुराण के वैष्णव खंड, भविष्य पुराण के उत्तर पर्व, महाभारत, शिव पुराण, निर्णय सिंधु आदि धर्मग्रंथों के अनुसार जो भी गृहस्थ पुरे कार्तिक महीने में व्रत, स्नान, दान, पूजन, हवन, दीपदान करने से वंचित हो जाए या एकादशी से पूर्णिमा अर्थात भीष्म पंचक के पांच दिन में भी ये सब ना कर पाए वो सभी स्त्री पुरुष कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी, चतुर्दशी व पूर्णिमा को व्रत, गंगा स्नान, पूजन, हवन, दीपदान एवं ब्राह्मण भोजन व दान श्रद्धापूर्वक कर सम्पूर्ण शुभफल प्राप्त कर सकते है भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि त्रयोदशी तिथि 3 नवम्बर को सुबह 5.07 बजे से देर रात 2.06 बजे तक रहेगा जो सोमवार दिन प्राप्त होने से सोम प्रदोष, हर्षण योग के साथ सायंकाल से सर्वार्थ सिद्धि संयोग के कारण अत्यंत शुभ है इस दिन गंगा स्नान के बाद भगवान विष्णु जी के साथ शिव जी का पूजन कर मंदिर में भी दीपदान करें जो गृहस्थ कार्तिक के अंतिम तीन तिथियों (त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा) में ब्राह्मणजनों को भोजन कराकर दान देता है वह अपने समस्त पितरों का उद्धार करके परम पद को प्राप्त करता है, अंतिम तीन दिन गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है ॐ नमो नारायणा या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का निरंतर जप करना चाहिए यदि किसी कारण स्नान के लिए गंगा नदी ना जा पाए तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान व मंदिर में भी दीपदान कर सकते है जबकि चतुर्दशी तिथि 4 नवम्बर को तड़के 2.06 बजे से रात्रि 10.36 तक रहेगा इस बार मुख्य पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी जिसे बैकुंठ चतुर्दशी भी कहते है अरुणोदय में भगवान शिव का पूजन करें सूर्यास्त बाद प्रदोष काल 5.27 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग, सिद्धि योग का संगम होने से विशेष पुण्य फलदायी है सायंकाल गंगा स्नान कर दीपदान व आकाशदीप पूर्वजों (पितरों) के मोक्ष के लिए किया जाएगा ब्रह्मवैवर्त व स्कन्द पुराण में वर्णन है नारद जी के प्रश्न करने पर ब्रह्मा जी ने बताया कि स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए उन्हें ऋतुफल विशेषरूप से आँवला, केला, सिंहाड़ा के साथ तुलसीदल अवश्य चढ़ाना चाहिए उसके बाद सायंकाल में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए मंत्र-“दामोदराय विश्वाय विश्वरूपधराय च। नमस्कृत्वा प्रदास्यामि व्योमदीपं हरिप्रियम्”॥ कहते हुए आकाशदीप को छोड़ दे इसे ही प्रमुख दीपदान कहते है दीपदान में शिव के लिए सफ़ेद, विष्णु के लिए पीले तथा पितरों के लिए सफ़ेद रंग का बत्ती होना चाहिए दीपदान के बाद योग्य ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान अवश्य करना चाहिए जो स्त्री व पुरुष इस प्रकार दीपदान करता है उन्हें पुर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है परिवार में सुख, समृद्धि, शान्ति होती है साथ श्री लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है कार्तिक माह व्रत का उद्यापन पूजन चतुर्दशी को तथा तिल व खीर से हवन पूर्णिमा को करना चाहिए चतुर्दशी तिथि को रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन करना चाहिए कार्तिक में स्नान व दीपदान का काशी में मणिकर्णिका घाट, पुष्कर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, प्रयागराज आदि स्थानों में विशेष महत्त्व है महाभारत व भविष्य पुराण में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान कृष्ण ने दीपदान की महिमा बताया है भगवान कृष्ण के कहने पर ही युधिष्ठिर ने भाइयों के साथ युद्ध में मारे गए अपने पितरों के मोक्ष के लिए गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी से कार्तिक पूर्णिमा तक स्नान, हवन व दीपदान करने से सभी को मोक्ष प्राप्त हुआ था अतः द्वापर युग से ही गढ़मुक्तेश्वर में ये परम्परा विशेष रूप से एक वर्ष में मृत्यु को प्राप्त पितरों को आकाशदीप व दीपदान परम्परा चली आ रही है आकाश दीप या दीपदान देते समय मंत्र –

नमः पितृभ्यः प्रेतेभ्यो नमो धर्माय विष्णवे । नमो यमाय रुद्राय कान्तारपतये नमः ॥ कहते हुए आकाशदीप को छोड़े व दीपक जल में प्रवाहित करें पंडित के0 सी0 पाण्डेय ने कहा कि पूर्णिमा तिथि 4 नवम्बर की रात्रि 10.36 बजे से 5 नवम्बर सायंकाळ 6.49 बजे तक है तथा चन्द्रोदय सायं 5.08 बजे होगा अतः सूर्योदय व चन्द्रोदय दोनों समय पूर्णिमा तिथि प्राप्त होने से कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, स्नान, दान के साथ देव दीपावली, गुरुनानक जयंती भी 5 नवम्बर को मनाया जाएगा कार्तिक पूर्णिमा को व्रत रखकर सायंकाल भगवान श्री सत्यनारायण पूजन कथा बंधु बांधव के साथ कर भोजन कराने से कार्तिक का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है इस दिन ब्राह्मण भोजन के साथ कपड़ा भी दान करना चाहिए आसन, कंबल, चौकी, स्वर्ण, वस्त्र आदि के दान का विशेष महत्व है।

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