हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): 9 अगस्त-1942 को मुम्बई से शुुरु हुई अंग्रेजों भारत छोड़ों के नारे की गूंज जब हापुड़ पहुंची तो हापुड़ के अनेक देशभक्त स्वाधीनता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े। आजादी की इस लड़ाई में हापुड़ के चार लोग शहीद हो गए।

बात 11 अगस्त 1942 की है, जब अंग्रजों भारत छोड़ों के नारे के साथ हापुड़ में एक बड़ा विशाल जुलूस निकाला गया। जब देशभक्तों का यह जुलूस हापुड़ के अतरपुरा चौपला पर पहुंचा, तो अंग्रेज पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दीं। अंग्रेज पुलिस द्वारा चलाई गई गोलियों से रामस्वरुप जाटव, अंगनलाल शर्मा, गिरधारी लाल ठेठेरे तथा मांगे लाल वैश्य शहीद हो गए। अतरपुरा पुलिस चौकी की एक दीवार पर आज भी गोलियों के स्पष्ट निशान हैं,जो इस बात का प्रमाण हैं कि राष्ट्रहित में हापुड़ कभी पीछे नहीं रहा।

स्वाधीनता संग्राम के आंदोलन में शहीद हुए बलिदानियों की स्मृति में गोल मार्किट के प्रारम्भ हापुड़ में एक शहीद स्मारक बना है, जहां प्रत्येक वर्ष 11 अगस्त को लोग एकत्र हेाकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते है।
अतरपुरा पुलिस चौकी जिस स्थान पर वह शहीद स्मारक का ही स्थान है। पुलिस चौकी न हटने के कारण इस स्थान पर शहीदों की स्मृति में भव्य स्मारक नहीं बन पाया।
