हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): – कौन है मुंह छिपाने वाला रिश्वतखोर?
– जिला मुख्यालय हापुड़ परिसर में ही ले ली 10 हजार रुपए की रिश्वत
– 10 हजार की खातिर बेचा ईमान
– ईमानदारी का चोला पहनने वाले ने कैमरे पर छिपाया अपना मुंह
– किसान का उत्पीड़न करने वाला पहुंचा सलाखों के पीछे
– यह है गाजियाबाद निवासी रिश्वतखोर चकबंदी लेखपाल नरेंद्र कुमार गॉड
योगी सरकार और उसके मंत्री लगातार प्रदेश को करप्शन मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ऐसे मुलाजिम है जो कि जनसेवक नहीं बल्कि रिश्वतखोर के रूप में काम कर रहे हैं। सरकारी नुमाइंडे अपने पद की गरिमा का ख्याल ना रखते हुए खुलेआम बेफिक्र अधिकारियों की नाक के नीचे जिला मुख्यालय परिसर में ही रिश्वत वसूल रहे हैं। ताजा मामला जनपद हापुड़ मुख्यालय के परिसर से सामने आया जहां शनिवार को मेरठ से आई एंटी करप्शन की टीम ने 10 हजार रुपए की रिश्वत के साथ एक चकबंदी लेखपाल को गिरफ्तार कर लिया। एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई के दौरान हड़कंप मच गया। रिश्वत मांगते समय जिस लेखपाल की जुबान नहीं लड़खड़ाई वह कैमरा देखकर अपना मुंह छुपाने लगा। ब्लड प्रेशर बढ़ने का हवाला देता रहा लेकिन आखिरकार टीम ने आरोपी भ्रष्ट लेखपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया है जो कि बाहर आने के लिए तड़प रहा है। लग्जरी जीवन जीने वाला लेखपाल अब अपनी करतूतों के कारण जेल पहुंच गया है जोकि रात के समय जेल में करवटें बदल रहा है। अब जल्द ही आरोपी चकबंदी लेखपाल के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी होने जा रही है।
यह है पूरा मामला:
आईए अब आपको बताते हैं कि आखिर क्या है पूरा माजरा? कैमरे पर मुंह छुपाने वाले का नाम है: नरेंद्र कुमार गौड़ निवासी गाजियाबाद जो कि जनपद हापुड़ में चकबंदी विभाग में लेखपाल के पद पर तैनात है। लेखपाल ने फर्द में नाम चढ़ाने के नाम पर एक किसान से 15000 रुपए की रिश्वत मांगी लेकिन आर्थिक तंगी के कारण किसान ने 15000 रुपए देने में असमर्थता जताई जिसके बाद ईमानदारी का चोला पहने वाले लेखपाल ने 10 हजार रुपए में अपना ईमान बेच दिया और किसान का उत्पीड़न शुरू कर दिया। लेखपाल के अत्याचार व उत्पीड़न से तंग आकर आखिरकार किसान ने एंटी करप्शन टीम मेरठ से संपर्क कर मामले की शिकायत की। इसके बाद आरोपी को पकड़ने के लिए टीम ने एक जाल बुना जिसमें यह रिश्वतखोर मछली आखिर फंस ही गई।
एंटी करप्शन टीम ने की कार्रवाई:
जनपद हापुड़ के थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव सिकंदरपुर काकोड़ी के रहने वाले वंश चौधरी ने मेरठ की एंटी करप्शन टीम में शिकायत करते हुए बताया कि उसका गांव चकबंदी में है उसके पिता का नाम हरेंद्र सिंह है। पिता के भाई सुरेंद्र व पप्पन सिंह भी गांव में ही रहते हैं जबकि सतपाल सिंह का 13 जनवरी को देहांत हो चुका है। सतपाल सिंह अविवाहित थे जिसके नाम गांव में ढाई बीघा जमीन है। देहांत के बाद उनके हिस्से की जमीन पिता व उनके दोनों भाइयों के नाम होनी थी। 14 फरवरी को पीड़ित ने लेखपाल चकबंदी नरेंद्र कुमार गौर से संपर्क साधा। लेखपाल ने जमीन के दस्तावेजों में पिता व दोनों भाइयों के नाम दर्ज करने की एवज में 15000 रुपए की रिश्वत मांगी। पीड़ित व लेखपाल के बीच सौदा 10 हजार में तय हुआ।
डीएम से एंटी करप्शन ने की मुलाकात:
मामले की शिकायत मिलने पर एंटी करप्शन की टीम हरकत में आई जिसने शिकायत के बाद जनपद हापुड़ की जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा से इस संबंध में वार्ता की। इसके पश्चात दो सरकारी गवाह की व्यवस्था की गई। टीम के इशारे पर वंश चौधरी ने रिश्वत के रुपए देने के लिए लेखपाल से जिला मुख्यालय में मिलने का समय लिया। शनिवार की सुबह एंटी करप्शन में तैनात निरीक्षक मयंक कुमार अरोड़ा की अगुवाई में निरीक्षक दुर्गेश कुमार सिंह, कृष्ण अवतार, कैलाश चंद, अर्चना आदि सदस्यों के साथ हापुड़ पहुंचे और उन्होंने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ने की तैयारी शुरू कर दी।
जिला मुख्यालय परिसर में खुलेआम ली रिश्वत:
पीड़ित ने लेखपाल से संपर्क किया। इसके बाद चकबंदी कार्यालय से करीब 200 मीटर दूर जिला मुख्यालय की पार्किंग को रिश्वत लेने के लिए चुना गया। रिश्वत लेने से पहले वह शिकायतकर्ता को बाइक पर बैठाकर फोटो स्टेट की दुकान पर ले गया। करीब 10 मिनट बाद वह वापस लौटा और 10 हजार की रिश्वत लेकर उसे मौके पर ही गिनने लगा। इशारा मिलने पर एंटी करप्शन की टीम ने आरोपी रिश्वतखोर को दबोच लिया।
किसान का उत्पीड़न करने वाला पकड़ा गया:
शनिवार को आरोपी को दबोचने के बाद एंटी करप्शन की टीम जब उसे गिरफ्तार कर थाने ले जा रही थी तो किसान का शोषण करने वाले लेखपाल ने हवाला दिया कि उसका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है जिसके बाद उसे हापुड़ की गढ़ रोड़ पर स्थित सीएचसी में भर्ती कराया गया। इलाज के पश्चात उसे देहात थाने हापुड़ लाया गया जहां आरोपी लेखपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर संबंधित विभाग को मामले से अवगत कराया गया।
जेल में करवटें बदल रहा रिश्वतखोर:
सूत्रों का कहना है कि आरोपी चकबंदी लेखपाल के निलंबन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आरोपी रिश्वतखोर लेखपाल जेल में है जोकि रातों में सो नहीं पा रहा। आरोपी बेहद बेचैन है जो कि बाहर आने के लिए झटपटा रहा है लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि ईमानदारी का चोला पहने वाले आरोपी रिश्वतखोर लेखपाल को उच्च अधिकारियों का जरा भी डर नहीं था जोकि खुलेआम हापुड़ की जिला मुख्यालय परिसर में ही रिश्वत लेने लगा। आप ही सोचिए कि यदि लेखपाल के हौसले इस कदर बुलंद है तो आम लोगों का क्या होगा? आरोपी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। पिछले कई वर्षों से चकबंदी कार्यालय में मुकदमे चल रहे हैं लेकिन रिश्वतखोरों के कारण इनका समय से निस्तारण नहीं होता जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
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