Monday, December 23, 2024
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प्रधानाध्यापकों का किया गया संवेदीकरण










प्रधानाध्यापकों का किया गया संवेदीकरण

बच्चे देश का भविष्य इनके स्वास्थ्य का रखें विशेष ध्यान : डीटीओ

पहले चरण में हापुड़ ब्लॉक की कार्यशाला का आयोजन हुआ

हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़, 08अगस्त 2024। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुनील कुमार त्यागी के कुशल निर्देशन में प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत अभियान को बल देने का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में विकास खंड वार प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं। बृहस्पतिवार को पहले चरण हापुड़ ब्लॉक के प्रधानाध्यापकों का संवेदीकरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) के नेतृत्व में क्षय रोग विभाग की टीम ने कार्यशाला में टीबी से जुड़ी मुख्य बातों की जानकारी दी। टीबी के लक्षणों के बारे में बताया गया और एक भी लक्षण नजर आने पर जांच के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीटीओ डॉ. राजेश सिंह ने कहा कि क्षय रोग पूरी तरह साध्य है। नियमित उपचार के बाद टीबी बिल्कुल ठीक हो जाती है। उन्होंने प्रधानाध्यापकों से दरखास्त की कि किसी को भी टीबी की सुबा होने पर यह बात अवश्य बताएं और साथ ही नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराने के लिए प्रेरित करें। डीटीओ ने कहा बच्चों के मामले में ज्यादा संवेदनशीलता की जरूरत होती है, उन्हें कोई भी संक्रमण लगने का खतरा बड़ो के मुक‌ाबले ज्यादा रहता है। बच्चे देश का भविष्य हैं, बच्चे स्वस्थ होंगे तो देश स्वस्थ होगा।
डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी या बुखार रहता है तो उसे टीबी की जांच करानी चाहिए। खांसी के साथ बलगम या खून आना, अचानक वजन कम ‌होने लगना, भूख कम लगना, थकान रहना, सीने में दर्द रहना, रात में सोते समय पसीना आना, ये सब टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से एक भी लक्षण नजर आने पर टीबी की जांच कराना जरूरी है।
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच एवं उपचार की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध है। उपचार जारी रहने तक भारत सरकार की ओर से रोगियो को हर माह पांच सौ रुपए की राशि उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। निक्षय पोषण के अंतर्गत यह राशि रोगी को पोषणयुक्त खानपान के ल‌िए दी जाती है। कार्यशाला में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम से डॉ. प्रीति सिंह और वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) संगीता अरोड़ा ने भी प्रधानाध्यापकों का संवेदीकरण किया।

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