हापुड़, सीमन/ अमित कुमार (ehapurnews.com): जनपद हापुड़ के थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव गोहरा में चतुर्थ रविवार को लगने वाले मां सांवल्दे माता के मेले को व्यवस्थित एवं सुरक्षित रूप से संपन्न कराने हेतु गांव वालों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। मीटिंग में आवश्यक व्यवस्था करने हेतु जैसे सीसीटीवी बैरिकेडिंग फ्लेक्सी आदि के लिए चौकी प्रभारी मुदाफरा को निर्देशित किया गया।
मान्यता है कि इस क्षेत्र की विवाहित महिलाएं चाहे वह कहीं भी किसी भी राज्य अथवा जनपद में निवास कर रही है आकर प्रसाद चढ़ाती हैं। यह एक ऐतिहासिक स्थल है। मान्यता है कि राजा कारक और रानी सावंलदे रथ पर सवार होकर अपनी ससुराल से रानी सांवल्दे को विदा करा कर अपने राज्य के लिए जा रहे थे। दोपहरी होने पर जंगल में इसी स्थान पर बरगद के वृक्ष के नीचे आराम करने लगे। एक चील नाग को अपने पंजे में दबाकर लाकर बरगद के पेड़ पर बैठ गई। तो राजा कारक ने नाग की रक्षा के लिए धनुष से तीर चलाया चील तो उड़ गई और नाग नीचे राजा की ऊपर गिर पड़ा जिसने राजा को डस लिया और राजा की तत्काल मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु के वियोग में जंगल में विलाप करने लगी तभी उधर से कोई साधु निकला उसने बताया कि आपका पति जीवित हो जाएगा आप शिव का जाप करें,शिव की भक्ति करिए तो माता सांवल्दे ने अपने पति राजा कारक के शव को उसी वट वृक्ष पर झूला बांधकर रखा और 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की। 12 वे वर्ष के अंत में भगवान शिव एवं माता पार्वती मृत्यु लोक में भ्रमण करते हुए उधर से निकले, तो मां रानी सांवल्दे का विलास सुनकर माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने राजा कारक के कंकाल पर अमृत जल छिड़क कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। तभी से यह मानता है कि इस स्थल पर आकर सुहागन औरतें प्रसाद चढ़ाती है और अपने सुहाग की रक्षा के लिए वरदान मांगती हैं। राजा कारक एवं मां रानी सांवल्दे का किस्सा लोकगीतों के माध्यम से एवं रागिनी के माध्यम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एवं आसपास के सीमावर्ती राज्यों में गाया जाता है।
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