कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 नवंबर को
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): पौराणिक मान्यतानुसार जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने योगनिद्रा (शयन ) से उठने का दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है जो 12 नवम्बर को है भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय तथा मंत्री आचार्य गौरव कौशिक ने बताया कि इसे प्रबोधिनी व देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है इस दिन गंगा तीर्थ स्नान के साथ भगवान श्री हरि तथा माँ लक्ष्मी जी की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है प्रिय फल केला, आंवला, अनार, सिंहाड़ा, सेब तथा पीले मिष्ठान के साथ खीर का भोग प्रसाद लगाना चाहिए आज से ही 4 महीने से बंद समस्त शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे जो भी इस शुभ तिथि पर व्रत करके विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते उनकी मनोकामना पूर्ण होती है साथ ही योग्य ब्राह्मण व मंदिरों में दान करने से भगवान प्रसन्न होते है मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिल जाता है वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 नवंबर को है। एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 05 मिनट तक रहेगी, सनातन धर्म में एकादशी व्रत के लिए सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है अतः 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी जो पुरे दिन मान्य रहेगा 12 नवम्बर को देवउठनी एकादशी को मंगलवार के साथ उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है साथ ही हर्षण योग तथा रवि योग का सुन्दर संयोग भी रहेगा अतः व्रत, पूजन, दान, खरीद-बिक्री, कानूनी कार्य, स्वास्थ व शल्य चिकित्सा, चुनाव सम्बंधित कार्य पुरे दिन इस शुभ योग में करना अत्यंत सफल रहेगा श्री लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति के साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होगा महासभा संरक्षक डॉ0 वासुदेव शर्मा ने बताया कि यद्यपि देवउठनी एकादशी अबुझ मुहूर्त है परन्तु सुबह 5.29 से सायं 4.05 तक पृथ्वी लोक की भद्रा होने के कारण मुंडन, उपनयन, कुआँ पूजन, शादी व तुलसी विवाह आदि शुभ मंगल कार्य भद्रा दोष परिहार के बाद ही करें यदि सायं 4.05 के बाद ही करें अच्छा रहेगा, देवउठनी एकादशी पर स्नान व पूजन का शुभ समय 12 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से शुरू हो जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त स्नान सुबह 5.08 से 5. 56 तक
स्नान, पूजन, दान व अन्य कार्य –
सुबह 6.58 से दोपहर 1.23
2.44 से 4.05 तक
अन्य सभी शुभ मंगल कार्य भद्रा परिहार या सायं 4.05 के बाद करें
एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे से लेकर 8:51 बजे के बीच करना चाहिए
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