नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महोत्सव
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): सर्व मनोकामना पूर्ण कर सिद्धि प्रदान करने वाला भगवान सूर्य उपासना आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठपूजा मंगलवार आज से शुरु हो रहा है। चार दिन तक चलने वाला पर्व आज कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि 5 नवम्बर को नहाय-खाय के साथ शुरु हुआ जिसमें व्रत करने वाला कद्दू की सब्जी, चने की दाल के साथ अरवा चावल सेंधा नमक से बना हुआ भोजन ग्रहण करेंगे। पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्री राम व माता सीता ने इस व्रत पूजन को किया था तथा द्वापर युग में युधिष्ठिर द्वारा जुए में राजपाठ हार जाने पर पुनः प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने इस व्रत को किया था। कर्ण द्वारा भी इस पूजन करने का वर्णन मिलता है। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि परम्परानुसार इस व्रत पूजन में अगले दिन पंचमी तिथि को सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना अन्न जल के व्रत करके गुड़ का खीर, पूड़ी आदि छठी मैया के गीत गाते हुए बनाया जाता है साथ ही प्रसाद में फल व मिष्ठान चढ़ाकर सूर्यास्त के बाद पूजन करके बिना नमक का बना हुआ प्रसाद एकांत में ग्रहण करने (खरना) के बाद व्रती द्वारा लगभग 36 घंटे बिना अन्न- जल ग्रहण के सबसे कठिन व्रत की शुरुआत होती है जिसमें जमीन पर ही सोना होता है षष्ठी तिथि को सुबह से ही घर की महिलाओं द्वारा ठेकुआ, गुझिया, चावल के लड्डू आदि पकवान बनाया जाता है तथा गीत गाते हुए सायंकाल से पूर्व ही गंगा नदी घाट अथवा किसी भी नदी या तालाब के किनारे पहुंचकर सूप में नारियल, मूली, हल्दी, केला, गन्ना, सिन्हाड़ा, अन्य मौसमी फल मिष्ठान के द्वारा पूजन किया जाता है जिसमें कार्तिक कृष्ण षष्ठी तिथि को जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी यानि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा अगले दिन सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन पूर्ण कर व्रत का पारण किया जाएगा व्रती को निरंतर सूर्य षष्ठी पूजन के इस मंत्र -वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:। सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। का जप करते रहना चाहिए तथा सूर्य को अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः’, ॐ आदित्याय नम: तथा ॐ घृणि: सूर्याय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए व्रती द्वारा मुख्य पूजन 7 नवम्बर वृहस्पतिवार को किया जाएगा तथा सायं 5.25 से पहले भगवान सूर्य को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दिया जाएगा 8 नवम्बर को सुबह 6.40 पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा धर्मग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से संतान, समृद्धि, सुख, वैभव प्राप्त होता है वर्तमान सनातन धर्म परम्परा का यह एकमात्र सबसे कठिन व्रत है जिसमें अस्तगामी सूर्य प्रत्यूषा तथा सूर्योदय अर्थात उषा दोनों समय में पूजनकर अर्घ्य दिया जाता है जिसको करने से समस्त इच्छा मनोकामना पूर्ण होती है।
Dhanwantari Distributors का Immurich Capsule अब घर पर बैठे मंगवाएं: 9837700010