हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): चार साल पहले एक ठेकेदार से चार लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में गढ़मुक्तेश्वर नगरपालिका परिषद की तत्कालीन ईओ अमिता वरुण को नगर निकाय निदेशालय ने निलंबित कर दिया है। निलंबित अमिता वरुण फिलहाल बुलंदशहर जनपद के जहांगीराबाद पालिका में तैनात थी जिनपर वर्ष 2019 में चार लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था।
क्या था मामला:
10 मई 2019 को एक ठेकेदार के खिलाफ गढ़मुक्तेश्वर के बृजघाट स्थित आश्रम पर अवैध कब्जे के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था। उस दौरान अमिता वरुण गढ़मुक्तेश्वर नगरपालिका के ईओ पद पर तैनात थी जिन्होंने ठेकेदार को काली सूची में ना डालने के एवज में चार लाख रुपए की रिश्वत मांगी। ठेकेदार ने मामले की शिकायत डीजीपी कार्यालय लखनऊ में की जिसके बाद एंटी करप्शन विभाग मेरठ को कार्रवाई के निर्देश दिए। 28 जून वर्ष 2019 को टीम मेरठ से नगरपालिका कार्यालय पहुंची और एंटी करप्शन टीम ने चार लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए नगर नगर पालिका के लिपिक अब्दुल वाहिद को गिरफ्तार किया था लेकिन यह धनराशि तत्कालीन ईओ का एक रिश्तेदार लेकर भाग निकला।
परिचित ले भागा रिश्वत के रुपए:
टीम के प्रभारी रहे केपी सिंह के अनुसार तत्कालीन ईओ अमिता वरुण ने लिपिक वाहिद से यह रुपए अपने परिचित भूपेंद्र सिंह निवासी संभल को देने के लिए कहा था जिसके बाद भूपेंद्र भाग निकला। तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
बताया जा रहा है कि एंटी करप्शन न्यायालय से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने पर अमिता वरुण और भूपेंद्र सिंह को हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई थी लेकिन शासन स्तर से अमिता वरुण को उनका कार्यभार नहीं मिला था। इसी बीच नगर विकास विभाग के अनुसचिव बृजेंद्र सिंह ने अमिता को गढ़ पालिका से हटाकर मेरठ की सरधना पालिका परिषद में तैनाती दी थी।
अमिता को किया निलंबित:
भ्रष्टाचार निवारण संगठन मेरठ इकाई के निरीक्षक बाबर रजा जैदी ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की जांच के दौरान शासन ने चार लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में तत्कालीन ईओ अमिता वरुण को निलंबित कर दिया है और नगर निकाय निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ से संबद्ध कर दिया है।
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