वैदिक यज्ञ, भक्ति और आध्यात्मिक चिंतन से आलोकित हुआ आर्य समाज मंदिर
हापुड़,,सीमन (ehapurnews.com):आर्य समाज हापुड़ के ज्ञान ज्योति पर्व के प्रथम दिवस का प्रातःकालीन सत्र भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। वैदिक यज्ञ का आयोजन श्रद्धा एवं दिव्यता के साथ पुरोहित धर्मेंद्र शास्त्री जी के सान्निध्य में हुआ, जिसमें यजमान सुनील शर्मा, रामाकांत आर्य, आकाश आर्य तथा अजय कुमार ने सपत्नी भाग लिया और वैदिक मंत्रों की आहुति देकर धर्ममय ऊर्जा का संचार किया।
यज्ञ के उपरांत प्रख्यात भजनोपदेशक पं. दिनेश पथिक ने ईश्वर भक्ति से ओतप्रोत भजनों का रसपान कराया। “नमस्कार भगवान तुम्हें भक्तों का बारंबार हो”, “कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया”, “भगवान जैसा कोई नहीं, वो तो जहां में सबसे बड़ा है” और “दुनिया बनाने वाले, कैसी तेरी माया है” जैसे भजनों ने भक्तों को ईश्वरीय अनुभूति से भर दिया।
अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी संत स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज ने सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने त्रेतावाद का प्रतिपादन किया, जिसमें परमात्मा, मनुष्य और प्रकृति तीन स्वतंत्र सत्ता के रूप में माने गए हैं। उन्होंने वेद वचन “ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥” का उल्लेख करते हुए समझाया कि संसार को भोगो, लेकिन उसमें आसक्त मत हो जाओ। यही सच्ची साधना है।
स्वामी जी ने आगे कहा कि परमात्मा हर पल मनुष्य के संग रहता है, इसलिए उसका भक्त कभी पाप कर्म नहीं करता। उन्होंने वेदों में वर्णित तीन गतियों – दान, भोग और नाश पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इनमें से सबसे श्रेष्ठ दान है। कर्मों की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि तन, वाणी और मन से किए गए तीन प्रकार के कर्म ही जीवन की दिशा तय करते हैं।
इस प्रेरणादायक सत्र में आर्य समाज हापुड़ के प्रधान पवन आर्य, सुरेश सिंघल, सुरेंद्र कबाड़ी, बीना आर्य, राजप्रभा आर्य और अल्का सिंघल आदि उपस्थित रहे। उपस्थित जनसमूह ने प्रवचनों को ध्यानपूर्वक श्रवण किया और जीवन में वैदिक सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लिया।
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