
गेहूं की बुआई के लिए बीज चयन में सावधानी जरूरी
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड-कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि गेहूं की बुआई का समय चल रहा है, इसके लिए बीज चयन में सावधानी जरूरी है।
धान की कटाई के बाद रबी की मुख्य फसल गेहूं की बोआई होती है। बारिश की वजह से बोआइ में देरी हो रही है। ऐसे में किसान पांच से दस नवंबर तक हर हाल में गेहूं की बोआई कर लें, क्योंकि लेट होने पर फसल पर रोग का प्रकोप लगने की संभावना बढ़ जाएगी। खेतों में पराली को जलाने के बजाय खेत में ही जोताई कर उसे खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए। कृषि विभाग के गंगा सेल के वरिष्ठ सलाहकार डा. सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि यह बारिश असमय हो रही है, जिसका असर सबसे अधिक धान की फसल पर पड़ रहा है। धान की कटाई के बावजूद धान के खेत में पानी भरने से सड़ने की संभावना बढ़ गई है। किसान खेतों में जमा पानी निकालने का प्रयास करें।
गेहूं की खेतों की तैयारी के साथ ही बीज के चयन में सावधानी जरूरी है। समय के अनुरूप शोधित बीजों का प्रयोग करना चाहिए। किसी कारण से बोआई 15 नवंबर के बाद करते हैं तो आपको बीज लेट प्रजाति का बोना चाहिए, जिससे फसल पर मौसम का असर कम पड़े। गेहूं के मामा (खतपतवार) के बीज खेत में गिर गया होगा, जिससे वह दोबारा उग आएगा। आपको चाहिए कि खेत को बदल दीजिए, दूसरे खेत में सरसों की बोआइ करिए। नुकसान नहीं होगा। आलू और दलहन व तिलहन की बोआई के बाद यदि वह अंकुरित नहीं हुआ है और खेत में पानी भर गया, किसान पानी का निकालने का प्रयास करें, जिससे बीज सड़ने से बच सके। बारिश की वजह से आलू की बोआई में देरी होने पर रोग की संभावना बढ़ गई है। इस समय लता वर्गीय सब्जियों कहू और लौकी के अलावा बैगन, पत्ता गोभी, फूल गोभी, टमाटर मिर्चा, गाजर व चुकंदर की बोआई की जा सकती है।
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