हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): जनपद हापुड़ के कमजोर वर्ग के इलाकों तथा गांवों में तस्करी की शराब की जमकर बिक्री हो रही है। यह मुनाफे का धंधा होने के कारण रोजाना नए लोग इस धंधे से जुड़ रहे हैं और महिलाएं भी इस धंधे में लिप्त हंै। पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा शराब के धंधे में लिप्त लोगों की धर पकड़ के लिए अभियान जारी है फिर भी यह कारोबार अमर बेल की तरह पनप रहा है।
कौन-कौन सी शराब बिक रही है-जनपद हापुड़ में शराब के ठेकों पर आवंटित शराब, हरियाणा मार्का, छत्तीसगढ़ व अरुणाचल प्रदेश की शराब अवैध रुप से कमजोर बस्तियों व गांवों में बिक रही है। कोई परचून की दुकान से बेच रहा है, तो कोई घर से। आम लोगों को सहजता से शराब मिल जाए, इसलिए पव्वे में तस्करी की शराब बेची जाती है।
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हापुड़ कैसे पहुंचती है-तस्करी की शराब लग्जरी गाडिय़ों द्वारा मुख्य मार्गो के साथ-साथ शहर व गांवों को जोडऩे वाले सम्पर्क मार्गों से मध्य रात्रि के करीब मुख्य ठिकानों तक पहुंचती है। सूत्र बताते हैं कि अन्य प्रांतों से शराब एफओआर डिलीवरी दी जाती है।
ठिकानों से गांवों तक पहुंचती है- जब तस्करी की शराब ठिकानों तक पहुंच जाती है, तो उसके बाद शराब को दुपहिए वाहनों की मदद से गांवों तथा गली मौहल्लों में खुले शराब बिक्री के ठिकानों तक पहुंचाई जाती है। शराब की आपूूर्तिकर्ता राज्यों से बिक्री के ठिकानों तक शराब पहुंचाने की इस तरह पूरी चेन बनी है।
मुख्य ठिकानों के संचालक करते हैं मुखबरी-तस्करी की शराब के मुख्य ठिकानों के संचालक ही पुलिस व आबकारी विभाग की मुखबरी करते है, जैसे ही गली-मौहल्ले अथवा गांव में शराब का बिक्रेता इन ठिकानों से तस्करी की शराब लेकर चलता है, तो ये मुखबरी करके ही पकड़वा देते है। शराब की बड़ी-बड़ी खेप भी ये ही पकड़वाते देते हैं कि शराब आने वाली है। यदि पुलिस व आबकारी विभाग मुखबिर को धंधे से रोक दे तो जनपद में तस्करी की शराब की बिक्री बंद हो सकती है।
