आंवला नवमी पर महिलाओं ने पूजन किया
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ में रविवार को महिलाओं ने आंवला नवमी उत्सव भारतीय व सनातन संस्कृति के अनुरुप धूमधाम से मनाया और परिवार में सुख-स्मृद्धि की कामना की।
रविवार की भोर में उठकर महिलाओं ने गंगाजल आदि से स्नान किया और व्रत रखने के साथ आंवला वृक्षपर पहुंची, जहां महिलाओं ने आंवला वृक्ष को स्नान करा कर चंदन, रोली, पुष्प आदि से श्रृंगार कर पूजन किया और फिर घी के दीपक जलाए। महिलाओं ने आंवला वृक्ष की परिक्रमा करके संतान, परिवार में सुख स्मृद्धि की कामना की।
मान्यता है कि एक बार देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थीं। उनकी इच्छा हुई कि कैसे भगवान विष्णु और शिवं को एक साथ पूजा को जाए। तभी उन्हें ध्यान आया कि विष्णु को तुलसी प्रिय है और शिव को बेल। इन दोनों के गुण एक साथ आंवले में हैं। लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे उन्हें भोजन कराया और उसके बाद स्वयं भोजन को प्रसाद रूप में ग्रहण किया। उस दिन से ही यह तिथि आंवला नवमी के नाम से प्रसिद्ध हुई। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा, आंवले से, स्नान, आंवले को खाने और आंवले का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी यानी आंवला नवमी (10 नवंबर) से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा-अर्चना और दान का अक्षय फल मिलता है, इसलिए इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही. कृष्ण ने कंस के आमंत्रण पर वृंदावन छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया था।
चर्म रोग, गुप्त रोग व एलर्जी के लिए संपर्क करें डॉ शिशिर गुप्ता: 9719123457