बंदर के काटने से घायल पीड़ित अस्पताल पहुंचे
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): जनपद हापुड़ का शायद ही कोई ऐसा इलाका बचा हो, जहां बंदरों को आतंक व्याप्त न हो और लोगों को बुरी तरह काट कर घायल न किया। पौराणिक तीर्थस्थल गढ़मुक्तेश्वर, पापड़ नगरी हापुड़ व हैंडलूम नगरी पिलखुवा मे तो बंदर आतंक का पर्याय बन चुके है और सरकारी अस्पताल में बंदर काटे का इंजैक्शन लगवाने पीड़ित पहुंच रहे है।
उक्त तीनों निकाय बंदर पकड़ने के लिए टेंडर निकालते है और मथुरा जनपद की टीम को बंदर पकड़ने का ठेका दिया जाता है। बंदर पकड़ने की टीम औपचारिकता पूरी करती है और कम बंदर पकड़ कर ज्यादा बंदर पकड़ने का भुगतान लेकर चली जाती है। बंदर पकडऩे में भी कमीश्नखोरी चलती है। जिससे बदंरों का आतंक कम नही होता है बल्कि बढ़ता ही जाता है।
बंदरों के झुड़ बच्चों और महिलाओं पर हमला करके घायल कर रहे है। मथुरा की टीम के द्वारा बंदर पकड़े के बावजूद भी लोगों को बंदरों से छुटकारा नहीं मिल पया है। घरौं की छत से लेकर नगर के मुख्य स्थानों पर बंदरों का आंतक रहता है। लोग छतों पर खाने पीने की सामग्री को नहीं रख पाते है। बंदरों को भगाने के लिए चिड़ीमार बंदूक, गुलेल, डंडों आदि का सहारा लेकर बंदरों को भगाना पड़ता है।
हापुड़ के गढ़ रोड पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर खांसी, बुखार, जुकान रोगियों तता कुत्तें व बंदर के काटने से घायलों के उपचार हेतु तांता लगा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ रोगियों के चैकअप व दवा वितरण में लगे है।
सायुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डा.महेश चंद ने बताया कि बुधवार की दोपहर तक करीब 5 सौ मरीज उपचार हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे है। बंदर व कुत्ता काटने से पीड़ित करीब 106 पीड़ितों को इंजैक्शन दिए गए है। चिकित्सकों ने मरीजों को लू से बचाव के टिप्स भी दिए है।
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