ठाकुर के प्रति समर्पण ही सच्ची भक्ति

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हापुड़, सीमन (ehapurnews.com) : राजस्थान के गंगानगर की संत प्रवर गोपाल मोहन भारद्वाज जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं को भक्ति रस का रसपान कराते हुए कहा कि ठाकुर के प्रति समर्पण ही सच्ची भक्ति है। ठाकुर ही है, जो विपत्तियों में अपने भक्त की रक्षा करते हैं और मदद करते हैं।
कथावाचक श्री गोपाल मोहन भारद्वाज जी महाराज ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं को सुदामा चरित्र, श्री शुकदेव विदाई, परीक्षित मोक्ष कथाओं का वर्णन करते हुए कहा कि श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता अमीर गरीब में भेद को मिटाने का संदेश देती है। श्री शुकदेव का चरित्र सर्वथा निष्कलंक है। वे सदा आध्यात्मिकता की साक्षात मूर्ति हैं और उन्होंने असंख्य जीवो का उद्धार किया है। शुकदेव जी भगवत स्वरूप ही हैं।
संत प्रवर ने कहा कि संगत का मानव जीवन पर बड़ा ही प्रभाव पड़ता है जिसकी जैसी संगत होगी, उसके आचार विचार, व्यवहार, सोच व दृष्टि वैसी ही होगी जैसी उसकी संगत होगी। यदि मनुष्य मोक्ष की राप्ती चाहता है तो उसे राजा परीक्षित से शिक्षा लेनी होगी और इस कलयुग में स्वयं को प्रभु को समर्पित करना होगा। यह समर्पण ही मोक्ष के द्वार खोलेगा।
भजन गायक मनु गोपाल भारद्वाज ने गणेश वंदना व हनुमान चालीसा पाठ से कथा शुरू कराई कथा के मुख्य यजमान श्री शांति स्वरूप गोयल, यजमान देवेंद्र कुमार सक्सेना एडवोकेट, प्रदीप सिंघल, राकेश शर्मा, शिवकांत गर्ग, कमल किशोर अग्रवाल, शरद अग्रवाल व बृजेंद्र भाटी दंपत्ति ने सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा को संपन्न कराया।





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