हापुड़ में अहंकारी रावण का हुआ अंत

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हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): दशहरा पर्व से अगले दिन रविवार की भोर में रावण व उसके भाई कुम्भकरण तथा मेघनाथ के पुतले धू-धू कर जल उठे, तो पूरा रामलीला मैदान भारत माता की जय, जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। श्री रामलीला समिति के प्रधान रविंद्र गुप्ता ने बताया कि हापुड़ में रावण, कुम्भकरण व मेघनाथ के पुतलों के दशहरा पर्व से अगले दिन दहन की परम्परा विगत सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है, जिसके लिए परम्परा का पालन करते हुए रविवार की भोर में पुतलों का दहन किया गया, जबकि दशहरा शनिवार को मनाया गया।

हापुड़ में लंकापति रावण व उसके भाइयों की वध लीला तथा पुतलों के दहन को देखने के लिए हापुड़ व आस-पास के गांव से बड़ी तादाद में महिलाएं, पुरुष व बच्चे रामलीला मैदान में पहुंचे और मैदान में पैर रखने की जगह तक नहीं बच पाई।

खूब बिकी चाट-पकौड़ीः

हापुड़ के रामलीला मैदान व सड़क किनारे लगी चाट-पकौड़ी, खेल-खिलौने, स्टेशनरी, खजला, आर्टिफिशियल ज्वैलरी की दुकानों पर लोगों ने खरीददारी की और चाट-पकौड़ी, आईसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, सोफ्टी आदि व्यंजन खूब खाए तथा झूलों का आनंद लिया।

पुलिस बल रहा तैनातः

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाएं तथा दशहरा पर्व सौहार्द के साथ सम्पन्न कराने हेतु जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा, पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानेन्जय सिंह पुलिस बल के साथ रातभर गश्त पर रहे और रामलीला मैदान में पुलिस बल तैनात रहा।

अधर्म पर धर्म की जीतः

लंकापति रावण व उसके भाइयों के भगवान श्री राम के साथ वध लीलाओं का प्रदर्शन किया और फिर श्री राम ने बाण से पुतलों का दहन किया। असत्य पर सत्य की विजय के लोग गवाह बने। इस मौके पर आतिशबाजी भी की गई।

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