बड़े भाई के प्रति आदर भाव देखकर भावुक हुए भक्त
वन से अपने सिर पर प्रभु श्री राम की चरण पादुकाए ले जाकर भरत जी ने अयोध्या राज सिंहासन पर स्थापित की प्रभु की चरण पादुकाए
“पर्यावरण संरक्षण के बारे मे भी किया जागरूक ,वृक्षा रोपण पर दिया अत्यधिक जोर”
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ के श्री बाला जी धाम अछेजा पुल दिल्ली रोड हापुड़ मे चल रही नौ दिवसीय भव्य श्री राम कथा के अष्टम दिवस मे लगातार भारतवर्ष के अद्भुत परम पूज्य संत भगवान प्रथम दिवस से ही श्री बाला जी महाराज के दर्शन करने आ रहे है उसी श्रृंखला मे आज ज्ञान पीठ पीठाधीश्वर स्वामी श्री सर्वेश्वरानंद जी महाराज व संपूर्ण जगत मे अपनी अमृतमयि वाणी के माध्यम से श्री रामचरित मानस को जन जन तक पहुचाने वाले श्री राजेशवरानंद जी महाराज के सुपुत्र स्वामी गुरुप्रसाद जी महाराज व अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष श्री शुभेष शर्मन जी महाराज श्री बाला जी महाराज के श्री चरणो मे दर्शन के लिए पधारे जिनका मन्दिर संस्थापक स्वामी अशोकाचार्य जी महाराज व पीठाधीश्वर स्वामी श्री यश्वर्धनाचार्य जी महाराज ने शॉल ओढ़ाकर ,माला पहनाकर व प्रतिक चिन्ह देकर सम्मान किया गया इस अवसर पर सभी ने मिलकर व्यासपीठ का पूजन किया व व्यास पीठ पर विराजमान श्री बागेश्वर धाम से पधारे पं श्री रोहित जी महाराज ने भक्तो को श्री राम -भरत जी का वन मिलन की कथा का रसपान कराते हुए सुनाया कि अयोध्या से श्री राम के 14 वर्ष वनवास यात्रा के बारे में बताते हुए बताया भरत के मामा घर से आने के बाद सीधे माता के कैकई और राम भैया को ढूंढते हुए उनके कक्ष में जाते हैं। उन्हें इसका आभास तक नहीं होने दिया कि उनके प्राण प्रिय भैया और भाभी 14 वर्ष के बनवास को अयोध्या से निकल गए। जानकारी होते ही वे रोते बिलखते और कैकई माता को कोसते हुए कहते हैं पुत्र कुपुत्र हो सकता है मगर माता कुमाता नहीं होती। इस बात को तुमने सिद्ध किया है माता कुमाता होती है। यह कलंक यह पाप मेरे सर पर लगा। लोग क्या कहेंगे। भरत ने अपने भाई को राजगद्दी के लिए बनवास करा दिया। तभी कौशल्या और सुमित्रा दोनों भरत को समझाती है कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे। आओ उनका अंतिम संस्कार कर भैया को ढूंढने जाएंगे। राजा दशरथ की मृत्यु की खबर सुनकर भरत रोने लगते हैं। कर्म पूरा कर अयोध्या से अपनी तीनों मां के साथ अपने भाई को वापस लाने के लिए निकल पड़ते हैं। पीछे-पीछे प्रजा चल पड़े। निषाद राज से जानकारी लेकर भरत अपने माताओं के साथ चित्रकूट पर्वत पर जाते हैं। जहां लक्ष्मण जंगल से लकड़ियां चुन रहे थे। जैसे ही चक्रवर्ती सेना और भरत को आते देखा। आग बबूला होकर राम के पास आते हैं और कहते हैं कि भरत बड़ी सेना के साथ हमारी ओर बढ़ रहा है। तभी राम मुस्कुराते हुए कहते हैं ठहर जाओ। अनुज भरत को आने तो दो। भरत राम के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगते हैं। फिर राम गले से लगाते हैं। भरत मिलाप के बाद तीनों माताओं का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं और माता सीता भी अपनी तीनों सास के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं। उसके बाद भरत पिता के बारे में राम से कहते हैं कि अब हमारे बीच पिता श्री नहीं रहे यह शब्द सुनकर श्री राम और सीता लक्ष्मण व्याकुल हो शोकाकुल रहने के बाद राम को अपने साथ ले जाने के लिए भरत मिन्नतें करते हैं। मंत्री सुमंत और प्रजा गण बार-बार उन्हें अपने साथ जाने के लिए मनाते हैं। मगर श्री राम कहते हैं कि पिता के दिए हुए वचन का मर्यादा नहीं टूटे। इसके लिए हमें यहां रहने की अनुमति दें। रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई। यह कहकर लेने आए सभी लोगों को चुप करा देते हैं मगर भरत मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। तब राम ने कहा प्रजा हित के लिए तुम्हें जाओ, अयोध्या के प्रजा जनों को देखना है। साथ में माताओं का भी दायित्व निर्वाह करना है। भरत ने श्री राम के चरण पादुका को अपने सर पर उठाकर आंखों में अश्रु के साथ वहां से विदा होते हैं। 14 वर्ष तक श्री राम के चरण पादुका को अयोध्या के राज सिंहासन पर रखकर खुद जमीन पर चटाई बिछाकर सन्यासी का जीवन व्यतीत करते हुए राजपाट संभालते हैं। कथा के दौरान बड़े ही उदास और व्याकुल मनसे श्री राम सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए महा आरती के साथ प्रसंग समाप्त किया गया। कथा को लेकर आसपास में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। इस अवसर पर प्रिंस गोयल,आरती गोयल, नेहा गोयल,मोहित गोयल, रोहित गोयल, पुलकित अग्रवाल, हर्ष शर्मा, मयंक शर्मा, तरुण गोयल, कपिल, योगेंद्र, आशीष गोयल, मुदित गोयल, संजय त्यागी, सुशील शर्मा, अरविंद शर्मा,उमेश शर्मा, अरुण शर्मा,प्रमोद शर्मा सहित सैकड़ों की संख्या मे भक्त गण मौजूद रहे!
ब्रेनवेव्स इंटरनेशनल स्कूल लेकर आया है हापुड़ की पहली प्रोफेशनल फुटबॉल अकादमी: 8791258181