बैकुंठ चतुर्दशी पर दीपदान का विशेष महत्व

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बैकुंठ चतुर्दशी पर दीपदान का विशेष महत्व
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पूर्व मनाया जाता है, जो इस बार 25 नवंबर को है। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव के भक्तों के लिए पवित्र माना जाता है और दोनों की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा करने पर साधक को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और शिव की कृपा से पापों से मुक्ति मिलती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि 25 नवंबर को कार्तिक मास की त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि है। बैकुंठ चतुर्दशी का पावन पर्व मे हर किसी के लिए दीप दान करना श्रेष्ठ बताया गया है। शाम 5.22 बजे के बाद 11, 21, 51, 365, 108 बत्तियों का दीपक जलाना श्रेष्ठ है।
पितृों के नाम से 7,11, 14 की संख्या में दीपदान करना श्रेष्ठ रहेगा। तिल के तेल से बने हुए दीपक ही पितरों के नाम से जलाएं और दोनों में कुछ फूल और मखाने या किसमिस के दाने मिष्ठान के रूप में रख सकते हैं अन्य कोई मिठाई नहीं रखनी चाहिए। इसके साथ ही पीपल आंवला, तुलसी, चौराहा गौशाला, मंदिर, देवालय द्वार पर दीप जलाने का बहुत महिमा बताई गई है।
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