हापुड़, सीमन(ehapurnews.com): लोक भारती गढ़मुक्तेश्वर के तत्वावधान में रविवार को बूढ़ी गंगा की यात्रा के क्रम में उन स्थानों की पहचान की गई जहां कार्य की आवश्यकता प्रमुख रूप से है ।बूढ़ी गंगा शुकताल तीर्थ से गंगा के साथ-साथ पुष्पावती पूठ तक आती है और पुष्पावती पूठ धाम में इसका गंगा के साथ संगम होता है। बृजघाट से लेकर पूठ तक बूढ़ी गंगा मात्र बरसाती नाले में तब्दील होकर रह गई है। जिसको सदानीरा बनाने के लिए रविवार को लोकभारती, वन विभाग एवं समाज के प्रमुख लोगों को साथ लेते हुए कार्य योजना तय करने के साथ-साथ यह संकल्प लिया गया कि इस बूढ़ी गंगा को हम सदानीरा बनाएंगे ।इसमें गंगा के किनारे ब्रजघाट पर एक ठोकर बनाने के साथ-साथ एक चेक डैम बनाने की बात हुई तथा बूढ़ी गंगा के आध्यात्मिक महत्व को बताते हुए पर्यावरणविद भारत भूषण गर्ग ने बताया कि प्रमुख तीर्थ स्थल शुकताल से प्रारंभ होकर यह नदी गंगा के साथ-साथ प्रवाहमान रहती थी जो गढ़मुक्तेश्वर में गंगा मंदिर के नीचे से निकलते हुए पुष्पावती पूठ में मिलती थी इसीलिए गढ़मुक्तेश्वर के पश्चात पुष्पावती पूठ को स्वर्गद्वारी धाम के नाम से पुकारा जाता है परंतु वर्तमान में यह नदी लगभग मृतप्राय हो गई है लोक भारती के तत्वावधान में इस नदी के पुनर्जीवन का कार्य जल उत्सव माह के परिपेक्ष्य में प्रारंभ किया जा रहा है ।इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने इस नदी को पुनर्जीवित करने की शपथ ली इस अवसर पर वन विभाग के रेंजर राजेश कुमार गंगा सेवक मूलचंद आर्य सूबेदार जगदीश सिंह चौहान डायरेक्टर विनोद कुमार अरुण कुमार शर्मा गौरव गर्ग अनुज जोशी राकेश कुमार मंडल आदि उपस्थित थे।