हापुड़, सीमन/पुलकित अग्रवाल (ehapurnews.com) : जनपद हापुड़ की जिला एवं सत्र न्यायालय ने हत्या से जुड़े एक मामले में आरोपी को दोषी मानते हुए 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है तथा दो लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपी पर आईपीसी की धारा 304 व अन्य धाराओं में 10 सितंबर को पिलखुवा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था जहां सुनवाई के दौरान सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविंद्र कुमार प्रथम ने आरोपी गौरव तोमर को दोषी मानते हुए 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा दो लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। बताते चलें कि न्यायाधीश रविंदर कुमार प्रथम द्वारा जिला जज का कार्यभार संभालने के पश्चात यह पहला जजमेंट है। 56 पेज के जजमेंट में न्यायालय ने आरोपी को दोषी माना है। ईहापुड़न्यूज
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी कृष्ण कांत गुप्ता ने बताया कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम की वैशाली कॉलोनी निवासी विशाल पुत्र रामनिवास शुक्ला पिलखुवा क्षेत्र की मोनाड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था। कॉलेज में गौरव तोमर और उसके दोस्तों से विशाल की किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई और जमकर गाली-गलौज हुआ जिसके बाद गौरव तोमर ने विशाल को जान से मारने की धमकी दी। विशाल ने कॉलेज प्रशासन को मामले से अवगत कराया जिसके बाद कॉलेज के गार्ड विशाल को मुख्य रास्ते तक छोड़ कर गए।
10 सितंबर 2014 को जब विशाल हाईवे पर पहुंचा तो वह अपने दोस्त मनीष के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर वैशाली लौट रहा था। रास्ते में ही गौरव तोमर अपने अन्य साथियों के साथ बाइक पर पहुंचा जहां उसने विशाल और मनीष को घेर कर बेल्ट और लोहे की चैन से दोनों के साथ जमकर मारपीट की।
इस दौरान विशाल को गौरव ने मनीष की बाइक से कॉलर पकड़कर गिरा दिया जिसके बाद दोषी गौरव तोमर और उसके दोस्तों ने अपनी बाइक से विशाल के चेहरे और सीने पर कई बार पहिया चढ़ाया। मौके पर ही विशाल ने दम तोड़ दिया जबकि उसका साथी मारपीट के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया।
मृतक विशाल की बहन छाया शुक्ला की तहरीर पर पिलखुवा पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायालय में पहुंची जहां न्यायालय ने एक नाबालिक आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड भेज दिया जबकि गौरव के खिलाफ सुनवाई जारी रही।
गौरव के खिलाफ धारा 304 समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ जहां आरोपी पर दोष सिद्ध हुआ और 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा न्यायालय ने दो लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की 75% धनराशि परिजनों को क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी।