अहंकार से मानव का पतनः श्रीदामाकिंकर

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हापुड़,सीमन (ehapurnews.com): प्रसिध्द कथा वाचक श्रीदामाकिंकर जी महाराज ने हापुड़ में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भौतिकता की चकाचौंध में आज की युवा पीढ़ी धर्म और मानवीय मूल्यों को भूलती जा रही हैं। ऐसे समय में धर्म ही मानव को सही मार्ग दिखा सकता हैं। युवा पीढ़ी को बुरी संगत बचाने के लिए धर्म की शिक्षा जरुरी हैं।
कथा वाचक श्रीदामाकिंकरप जी महाराज श्री सनातन धर्म सभा हापुड़ के वार्षिकोत्यव पर श्रीमदभागवत कथा पर भक्यों पर अमृत वर्षा कर रहें हैं। यह कथा 30 अप्रैल तक चलेगी। सन्त प्रवर ने जैसे ही कथा स्थल पर प्रवेश किया तो भक्तों ने खड़े होकर सनातन धर्म की जय के उद्घोष से व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
सन्त प्रवर ने अनेक प्रसंगो को सुनाते हुए कहा कि अहंकार मानव को राजा से रंक बना देता हैं। यह अहंकार ही हैं। जो मानव को पतन की ओर ले जाता हैं। यदि मनुष्य वास्तव में उन्नति और प्रतिष्ठा चाहता है, तो उसे अहंकार को त्याग कर प्रेम भाव अपनाना होगा। ठाकुर जी की लीलाओं से मनुष्य को अहंकार से दूर रहने का संदेश मिलता हैं।
सन्त प्रवर ने कहा कि कलियुग में प्रभु स्मरण ही मनुष्य को भवसागर से पार करा सकता है। यदि जीवन में परम सुख की शांति प्राप्त करनी हैं, तो नेक कमाई का कुछ अंश दीन – दुखियों की सेवा पर खर्च करो और ऐसी वाणी बोलो की पराए भी अपने हो जाएं। समाज में वैमनस्य पैदा करने वाले शब्दों के इस्तेमाल से बचाओ। भाईचारा, भारतीय व सनातन संस्कृति से कुछ भी श्रेष्ठ नहीं हैं।
सन्त प्रवर का स्वागत पुरुषोंत्तम अग्रवाल, रविन्द्र कुमार गुप्ता, संजीव कृष्णा, कपिल सिंघल, नरेन्द्र अग्रवाल आदि ने स्वागत किया।

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