महाशिवरात्रि पर किस समय करें भोलेनाथ का जलाभिषेक, जानिए

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महाशिवरात्रि पर किस समय करें भोलेनाथ का जलाभिषेक, जानिए

हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा विद्वानों ने हापुड़ स्थित प्रधान कार्यालय पर बैठक कर विचार-विमर्श कर महाशिवरात्रि पर्व एवं जलाभिषेक मुहूर्त निर्णय दिया। महासभा अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि देवाधिदेव महादेव व देवी पार्वती के विवाहोत्सव का पावन पर्व महाशिवरात्रि 26 फ़रवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा। भोलेनाथ का जलाभिषेक 26 फ़रवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शत्रुनाशक परिघ योग व शुभ की चौघड़िया में प्रारम्भ होगा। निर्णयसिंधु व धर्मसिंधु ग्रंथों सहित स्कन्द पुराण, शिव पुराण, लिंगपुराण,नारदसंहिता आदि धर्मग्रंथों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जिस दिन आधीरात के पहले व आधीरात के बाद चतुर्दशी तिथि प्राप्त हो वही महाशिवरात्रि है तथा प्रदोषकाल युक्त हो तो श्रेष्ठ है। इस समय शिवरात्रि का व्रत करके पूर्ण फल प्राप्त करें चतुर्दशी तिथि 26 फ़रवरी को सुबह 11.08 बजे श्रवणनक्षत्र के साथ शुरु होकर सायंकाल 5.23 से धनिष्ठा नक्षत्र लगने के बाद 27 फ़रवरी को सुबह 8.54 तक रहेगा।
धर्मग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि निशीथकालीन पर्व है। अतः 26 फ़रवरी को ही पूर्णतः श्रेष्ठ शास्त्रोंचित समस्त शुभ फल प्रदान करने वाला महाशिवरात्रि है। इस दिन जलाभिषेक के साथ दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक व पूजन समस्त भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फल देने व कल्याण करने वाला होगा। इस दिन प्रदोषकाल में भी पूजन अवश्य करें। भगवान भोलेनाथ का अभिषेक गंगाजल से, गाय के दूध से, गन्ने के रस से करना उत्तम रहेगा पूजन में बेलपत्र,भाँग, धतूरा व फूल, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर का फूल, कलावा व फल, सफ़ेद मिष्ठान आदि के साथ मनोकामना पूर्ति के लिए पूजन में अक्षत, तिल के साथ नीले, सफ़ेद व पीले पुष्प व दूर्वा भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है अवश्य चढ़ाये।
साथ ही शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र व महामृत्युंजय मंत्र का जप भी अवश्य करें। भगवान भोलेनाथ को कभी भी हल्दी, रोली, तुलसी के पत्ते, केतकी का फूल, नारियल का जल ना चढ़ाए तथा शंख से अभिषेक भी नहीं करना चाहिए जिस भी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष या राहु की नकारात्मक स्थति है। उन्हें महाशिवरात्रि को चांदी अथवा ताँबे के नाग-नागिन का जोड़ा भी अवश्य चढ़ाना चाहिए तथा रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए। शनि-चन्द्र ग्रह युति दोष अथवा चन्द्र ग्रह की किसी भी अशुभ स्थिति निवारण व कुंडली में ग्रहों के मारकेश निवारण के लिए भी महाशिवरात्रि का दिन श्रेष्ठ है। महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर रुद्राभिषेक पूजन भी विधान है जिससे समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। महाशिवरात्रि पूजन में भद्रा विचार नहीं लिया जाता। महासभा प्रवक्ता डॉ0 करुण शर्मा ने बताया कि समस्त मंदिरों को जलाभिषेक समय मुहूर्त की सूचना दी जा रही है जिससे किसी को असुविधा ना हो तथा प्रशासन भी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कर सके बैठक में उपाध्यक्ष पंडित ब्रजेश कौशिक, कोषाध्यक्ष पंडित मित्र प्रसाद काफ्ले, परामर्श मंडल विद्वान पंडित संतोष तिवारी व ओमप्रकाश पोखरियाल, समन्वयक पंडित अजय पाण्डेय, लेखानिरीक्षक पंडित देवी प्रसाद तिवारी व्रत पर्व विधिज्ञा अनिशा सोनी पाण्डेय आदि ने विचार रखें।

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