एनएसएस शिविर में टीबी और आयुष्मान भारत योजना की जानकारी दी
केशव मारवाड़ कन्या डिग्री कॉलेज, पिलखुवा में जागरूकता कार्यक्रम
– छात्राओं से घर जाकर कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने की अपील की
– जागरूकता और सभी के सहयोग से सफल होगा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़/ पिलखुवा, 04 मार्च, 2023। एक ओर जहां सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान के जरिए घर- घर जाकर टीबी रोगी खोजे जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जिला क्षय रोग विभाग लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन कर रहा है। इसी क्रम में शनिवार को पिलखुवा स्थित मारवाड़ कन्या डिग्री कॉलेज में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) शिविर के दौरान जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की जानकारी दी।
इसके अलावा शिविर में पहुंचे आयुष्मान भारत योजना के जिला समन्वयक डा. मारूफ चौधरी ने सरकार की ओर से दिए जा रहे पांच लाख रुपए के हेल्थ कवर के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के प्रधानाचार्या डॉ. निशा गर्ग, एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि शर्मा, डॉ. मंजू, डॉ. प्रीति कौशिक, डॉ. चेतना तायल और डॉ. शिवानी मुख्य रूप से मौजूद रहीं। कॉलेज प्रबंधन की ओर से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और आयुष्मान भारत योजना के जिला समन्वयक डा. मारूफ चौधरी का पौधे भेंटकर स्वागत किया।
एनएसएस शिविर में शामिल छात्राओं को संबोधित करते हुए जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया – टीबी एक वैश्विक बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से 2030 तक पूरी दुनिया से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने उससे पांच साल पहले, यानि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। टीबी के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम (एनटीपी) को पहले रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) किया गया और फिर एक जनवरी, 2020 से देश में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) लागू कर दिया गया। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता वाले इस कार्यक्रम को सफल बनाने का दायित्व हम सब का है।
श्री चौधरी ने कहा – आम जन इस कार्यक्रम के प्रति जागरूकता में क्षय रोग विभाग की मदद कर सकता है। टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपनों को भी बताएं। उन्होंने बताया – दो सप्ताह से अधिक खांसी रहना, खांसते समय खून या बलगम आना, वजन कम होना, बुखार रहना, सीने में दर्द और रात में सोते समय पसीना आना, यह सब टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीबी के लक्षण आने पर तत्काल जांच कराएं। जांच में पुष्टि होने पर क्षय रोग विभाग उपचार करेगा। टीबी संक्रमण के लिए जिम्मेदार जीवाणु अधिकतर फेफड़ों पर वार करता है, हालांकि वह शरीर के किसी भी अंग पर वार कर सकता है। केवल फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक होती है, और एक क्षय रोगी पांच से 15 लोगों को संक्रमण दे सकता है। लेकिन समय से उपचार शुरू कर संक्रमण को रोका जा सकता है। आजकल दवाएं इतनी प्रभावी हैं कि दो सप्ताह के उपचार के बाद ही रोगी के संपर्क में आने वालों को संक्रमण की आशंका न के बराबर रह जाती है। उन्होंने छात्राओं से अपील की कि कार्यक्रम के बारे में अपने घर पर जाकर अवश्य चर्चा करें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक टीबी के बारे में जानकारी पहुंच सके। आयुष्मान भारत योजना के जिला समन्वयक डा. मारूफ चौधरी ने बताया – योजना के लाभार्थी परिवार के सभी सदस्य अपना आयुष्मान कार्ड बनवा लें ताकि बीमार होने पर उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो और निशुल्क उपचार का लाभ मिल सके। हर लाभार्थी परिवार को हर वर्ष पांच लाख रुपए तक का उपचार योजना से आबद्ध निजी और सरकारी चिकित्सालयों में मिलता है। आयुष्मान कार्ड योजना से आबद्ध चिकित्सालयों और जन सेवा केंद्रों पर निशुल्क बनाए जाते हैं।