हापुड़, सीमन (ehapurnews.com) : हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण गत दो माह में सैकड़ों मानचित्र पास करके चार करोड़ रुपए की कमाई करके अपनी पीठ थपथपाने में लगा हो, परंतु वास्तविकता यह है कि कि प्रदेश सरकार को मानचित्र स्वीकृत करने पर राजस्व का नुकसान हो रहा है, इसके पीछे HPDA की नासमझ है।
बता दें कि हापुड़-पिलखुवार विकास प्राधिकरण का गठन 21 नवम्बर-1996 को हुआ था। तब से लेकर आज तक प्राधिकरण ने किसी भई आवासीय भूखंड को व्यवसायिक भूखंड में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं दी है। भू-उपयोग के विरुद्ध निर्माण व उसका प्रयोग करने पर उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के अंतर्गत कार्रवाई करने का अधिकार HPDA को है।
हापुड़ में एक परम्परा है कि किसी भी आवास को खरीदों औऱ फिर उसे गिरा कर टुकड़ों में बेच दो। इन भूखंडों पर व्यवसायिक प्रतिष्ठान बना लो, चाहे मानचित्र स्वीकृत करा लो अथवा प्राधिकरण से सांठगाठ कर लो। हापुड़ में जितने भी अवैध भवन खड़े है, वे सब प्राधिकरण को लैंड यूज देखना चाहिए, परंतु प्राधिकरण वास्तविकता की अनदेखी कर रहा है।
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