हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी से शत्रुता लाइसेंस निरस्त करने का आधार नहीं हो सकता। केवल आपराधिक मुकदमा दर्ज होने पर भी शस्त्र लाइसेंस निलंबित या निरस्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि आयुध अधिनियम की धारा 17(3) में दी गई शर्तों के आधार पर ही शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया जा सकता हैं लेकिन ऐसा करते समय डीएम को कारण बताना होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने देवेन्द्र सिंह की याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह को सुनने के बाद याचिका स्वीकार करते हुए दिया हैं। इसी के साथ कोर्ट ने याची का शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने के डीएम हापुड़ के आदेश और उसके विरुद्ध अपील में मंडलायुक्त मेरठ के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया हैं। साथ ही डीएम हापुड़ को दो माह में नए सिरे से आदेश करने का निर्देश दिया हैं।
कोर्ट ने कहा कि याची का शस्त्र लाइसेसं आपराधिक मुकदमे के कारण निरस्त किया गया। बाद में पुलिस ने उस मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया हैं। ऐसे में शस्त्र लाइसेसं निरस्त करने का आधार ही समाप्त हो गया हैं। याची के खिलाफ बाबूगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज हुई, जिसके आधार पर डीएम ने लाइसेंस निरस्त कर दिया जबकि याची पर लाइसेंस के दुरुपयोग का आरोप नहीं हैं। केवल आपराधिक मुकदमा या लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता। याची के अधिवक्ता ने कई नजीरें पेश की, जिनके अमुसार लोक सुरक्षा व लोक शांति के आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया जा सकता हैं। डीएम हर केस के तथ्य के आधार पर निर्णय लेंगे। डीएम व कमिश्नर दोनों ने धारा 17 पर विचार नहीं किया, जो स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक के विशेषाधिकारका उल्लघंन हैं। निष्पक्षता से विचार कर निर्णय लेना चाहिए। कानून डीएम को फ्री हैंड नहीं देता।
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