EXCLUSIVE: हापुड़ में सोने के अशुद्ध जेवरों का कारोबार चमका

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हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ में तांबे पर सोना चढ़ाकर उसके जेवर तैयार करने का धंधा तेजी से अमरबेल की तरह बढ़ता ही जा रहा है। मुनाफे का कारोबार होने के कारण नित नए लोग इस धंधे से जुड़ रहे हैं जिनकी संख्या हापुड़ में सैकड़ों में है। कोविड-19 के कारण कारीगरों के पलायन से कारोबार अवश्य प्रभावित हुआ दिखाई देता है।

हापुड़ में इस प्रकार से तैयार किए गए सोने के अशुद्ध आभूषण देश के कोने-कोने में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। उपभोक्ता को अपनी ठगी का उस समय पता चलता है, जब उपभोक्ता मजबूरन जेवर को बेचने के लिए निकलता है। सोने के नाम पर तांबे के आभूषण तैयार कर बेचने वालों की हरकत से ईमारदारी से व्यवसाय करने वालों के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

मानकों को करते हैं नज़रअंदाज:

शुद्धता की गारंटी के साथ सोने के जेवरों का कार्य करने वाले हापुड़ के अनेक व्यापारी भारतीय मानक ब्यूरो के सभी मानकों को पूरा करते हैं और हाल मार्क की गारंटी भी देते हैं, परन्तु तांबे पर सोना चढ़ाकर आभूषण बेचने वाले धंधेबाज भारतीय मानक ब्यूरों की एक भी शर्त को पूरा नहीं करते और न ही किसी प्रकार का अधिकृत लाइसैंस उनके पास है।

आखिर कहां से शुरु होता है ये अशुद्धता का खेल:

सोने के अशुद्ध आभूषण तैयार करने की पहली सीढ़ी वो लोग हैं जो दिल्ली से तांबे व पीतल की राड लाकर इन्हें उपलब्ध कराते हैं और मेहनताना के रुप में दस रुपए प्रति किलो मजदूरी लेते हैं। विभिन्न धातुओं की यह रॉड कुशल कारीगरों को उपलब्ध कराई जाती है तथा अनेक लोग तस्करी के माध्यम से सोने के बिस्कुट लाकर इन्हें उपलब्ध कराते हैं। कारीगरों द्वारा इन राड को मशीन में डालकर आवश्यकतानुसार महीन किया जाता है, फिर उस पर नाम मात्र का सोना चढ़ाया जाता है। धातु की राड को मशीन में डालने से पहले भट्टी में गर्म किया जाता है और रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन भट्टियों से उठने वाले प्रदूषण के कारण सांस लेना भी दूभर हो जाता है। खास बात यह है कि इन यूनिटों पर प्रदूषण विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है और विद्युत कनैक्शन भी घरेलु है।

दूर-दूर तक भेजे जाते हैं आभूषण:

धातुओं पर सोना चढ़ाकर चूड़ियां, कड़े, ब्रेसलेट, चेन तथा हार व गले के सैट कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किए जाते हैं और फिर बिक्री के लिए उन्हें बाजारों में उतारा जाता है। अशुद्ध सोने के जेवर के कारोबार में कारीगरों, एजेंटों तथा बिचौलियों की संख्या अब हजारों में पहुंच चुकी है। एजेंटों के माध्यम से ये जेवर दक्षिण व उत्तर भारत की मंडियों तक भेजे जाते हैं। उड़ीसा, दिल्ली, नेपाल व गोवा में हापुड़ के कारोबारियों ने ब्रांच खोल ली है। एक अनुमान के मुताबिक अशुद्ध सोने के आभूषणों का एक करोड़ का कारोबार प्रतिदिन होता है, जो कोविड-19 के कारण प्रभावित दिखाई देता है।

एक दशक पहले तक जिन लोगों के घरों में रोटियों के लाले थे, आज वे इस कारोबार में उतर कर करोड़ों व अरबों में खेल रहे हैं। आलीशान बंगलों में रहते हैं और लग्जरी गाड़ियों में सफर करते हैं। सरकार को टैक्स देने के नाम पर शून्य हैं। इन धंधेबाजों की काली कमाई प्रोपर्टी में लगी है।

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