हीटवेब को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारियां
हापुड, सूवि(ehapurnews.com):उत्तर प्रदेश सरकार ने विगत आठ वर्षों में ‘सेवा, सुरक्षा और सुशासन’ की दिशा में अभूतपूर्व उपलब्धियां अर्जित की है। प्रदेश सरकार ने 11 आपदाओं को राज्य आपदा के रूप में अधिसूचित कर रखा है। प्रदेश सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक पीडित व्यक्तियों को राहत फण्ड से आच्छादित किया जा सकें इसलिए गत पाँच वर्षों में राज्य सरकार द्वारा कई दुर्घटनाओं को राज्य आपदा के रूप में अधिसूचित किया गया है जैसे नाव दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर सफाई व गैस रिसाव, बोरवेल में गिरना, मानव वन्य जीव द्वन्द, डूबना तथा सांड एवं वन्य नील गाय के आघात से मृत्यु।
प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप आपदा प्रबंधन क्षेत्र में भी जनपद स्तर पर क्षमता संवर्धन व् राहत बचाव कार्यों में तीव्रता के साथ कार्य किया जा रहा है। राहत वितरण प्रणाली को समयबद्ध व पारदर्शी बनाने के लिए राहत पोर्टल पर सभी प्रकार के राहत देय को ई-कुबेर के माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में भेजे जाने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया था, जिससे राहत वितरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया पेपरलेस हो गयी हैं।
साथ ही मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी तंत्र को बेहतर करने हेतु जनपद की समस्त तहसील में AWS (Automatic Weather Stations) व प्रति ब्लॉक ARG (Automatic Rain Gauge) की स्थापना की गयी है जिससे मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी तंत्र को बेहतर किया जा सकें। आपदाओं में क्या करे, न करें के प्रचार-प्रसार हेतु जनपद मुख्यालय व तहसील परिसरों पर एक-एक डिजीटल साइन बोर्ड की स्थापना की गयी है।
हीटवेव से बचाव के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो लोगों को गर्मी से संबंधित खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करते हैं। इन कार्यक्रमों में हीटवेव के लक्षणए प्राथमिक उपचारए और गर्मी में सुरक्षित रहने के उपायों की जानकारी दी जाती है।
हीटवेव (लू) एक ऐसी मौसम स्थिति है जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से अधिक बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में, हीटवेव की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40° तटीय क्षेत्रों में 37° और पहाडी क्षेत्रों में 30° से ऊपर चला जाता है, जो सामान्य से कम से कम 4.5° अधिक होता है।
हीट डेज (Heat Days) का मतलब उन दिनों से है, जब किसी स्थान का अधिकतम तापमान सामान्य से बहुत अधिक बढ़ जाता है, और यह तापमान विशेष सीमा से ऊपर रहता है। इन दिनों को हीटवेव या लू के दिनों के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर, जब किसी क्षेत्र में अधिकतम तापमान 40° या उससे ऊपर होता है, तो उसे हीट डेज के रूप में पहचाना जाता है।
हीट डेज के प्रभाव स्वास्थ्य पर प्रभावरू अत्यधिक गर्मी से शरीर में पानी की कमी, थकान, सिरदर्द, उल्टी, और हीटस्ट्रोक जैसी
समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कृषि पर प्रभाव- अत्यधिक गर्मी फसलें और बागवानी को नुकसान पहुंचाती है, जिससे उत्पादन में गिरावट होती है।
जलवायु परिवर्तन- हीट डेज का बढ़ना जलवायु परिवर्तन का संकेत है, जो पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
ऊर्जा की मांग- इन दिनों में बिजली की खपत बढ़ जाती है क्योंकि लोग एयर कंडीशनर और पंखों का ज्यादा उपयोग करते हैं।
हीट डेज से बचाव के उपाय-पानी का सेवन शरीर में पानी की कमी न होने दें, अधिक से अधिक पानी पिएं।
सुरक्षित स्थान पर रहें यदि संभव हो, तो गर्मी से बचने के लिए घर के अंदर ठंडे स्थान पर रहें।
स्ट्रोक से बचाव- हीटस्ट्रोक से बचने के लिए शरीर को ठंडा रखने का प्रयास करें। सिर पर ठंडी पट्टी रखें और हल्के कपड़े पहनें।
प्राकृतिक शीतलन- घर की खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें और पंखा या एयर कंडीशनर का उपयोग करें।
गर्मी में बाहर न जाएं जब भी संभव हो, गर्मी के अत्यधिक दिनों में घर से बाहर जाने से बचें।
इस प्रकार, हीट डेज केवल तापमान बढ़ने के दिन नहीं होते, बल्कि यह संकेत हैं कि हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि हम और हमारे पर्यावरण पर इसका प्रभाव कम कर सकें।
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