सिम्स में कोर कमेटी की बैठक आयोजित की गई
– डीटीओ ने टीबी जांच के लिए रेफरल बढ़ाने के निर्देश दिए
– विश्व टीबी दिवस पर टीबी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़, 07 मार्च, 2024। एनएच-9 स्थित सरस्वती इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सिम्स) में बृहस्पतिवार को कोर कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डा. सौरभ गोयल, बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. योगेश गोयल, विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी डा. संजीव डिमरी, डा. सुभाष सलोनिया, डा. ललित गर्ग और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की ओर से कॉलेज में तैनात मेडिकल ऑफिसर डा. उत्कर्ष सचान की मौजूदगी में हुई कोर कमेटी की बैठक में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने टीबी जांच बढ़ाने के लिए रेफरल बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा – ओपीडी में आने वाले रोगियों में से प्रतिदिन कम से कम पांच प्रतिशत रोगियों की टीबी जांच अवश्य हो। हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस पर यह आंकड़ा 10 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए।
डीटीओ डा. राजेश सिंह ने कहा – टीबी जांच के लिए मेडिकल कॉलेज अपनी ट्रूनेट मशीन का प्रयोग करे, जांच के लिए प्रयोग की जाने वाली चिप जिला क्षय रोग विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाएंगी। डीटीओ ने कहा- क्षय रोगियों को जांच और भर्ती की सुविधा निशुल्क प्रदान की जाए। सभी पल्मोनरी टीबी रोगियों की सीबीनॉट जांच अवश्य कराई जाए। डीटीओ ने कहा – राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम सरकार की प्राथमिकता का कार्यक्रम है। इस पर सबको मिलकर काम करना है, सभी के सहयोग से 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करना संभव है। विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) के मौके पर आउटरीच एरिया में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन की बात भी डीटीओ ने कोर कमेटी बैठक में रखी। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया – कॉलेज प्रबंधन की ओर से आश्वासन दिया गया कि क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में अपेक्षित सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। कॉलेज प्रबंधन की ओर से टीबी को लेकर जल्द ही सीएमई (सतत मेडिकल शिक्षा) के लिए तिथि निर्धारित कर जिला क्षय रोग विभाग को जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही। बैठक के दौरान सिम्स में एनटीईपी से लैब टेक्नीशियन (एलटी) की तैनाती पर भी चर्चा हुई।
मेडिकल छात्राओं का टीबी संवेदीकरण किया गया
दस्तोई रोड स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में इंटर्नशिप कर रहीं मेडिकल की छात्राओं का बृहस्पतिवार को टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रदीप मित्तल ने छात्राओं को पल्मोनरी और एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी के बारे में बताते हुए कहा – टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है लेकिन अधिकतर मामले पल्मोनरी (फेफड़ों की) टीबी के इसलिए होते हैं क्योंकि यह संक्रामक होती है और सांस के जरिए फैलती है। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया – दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहना, खांसी में बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, सीने में दर्द रहना, वजन कम होना और थकान रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण आने पर टीबी की जांच करानी चाहिए। जांच और उपचार की सुविधा सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। नियमित उपचार के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। कार्यक्रम के दौरान टीबीएचवी हश्चिचंद्र भी मौजूद रहे।
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