हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): पंचदिवसीय पर्व क्रम का अंतिम पर्व भैयादूज 15 नवम्बर, बुधवार आज मनाया जायेगा। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिषी पं0 के0 सी0 पाण्डेय (काशी वाले ) व आचार्य देवी प्रसाद तिवारी ने बताया कि धर्मग्रंथो के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया (भैयादूज ) अपरान्ह कालीन पर्व है। बुधवार को उदयातिथि व अपरान्ह समय में भी द्वितीया तिथि प्राप्त होने के कारण भाई का तिलक करना व भोजन कराने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होगा। द्वितीया तिथि 14 नवम्बर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 15 नवम्बर दिन बुधवार 1.46 तक रहेगा।
भैयादूज तिलक पूजन मुहूर्त:
15 नवम्बर, बुधवार
सुबह 6.41 से 9.22 लाभ व अमृत चौघड़िया
10.42 से 12.03 तक, शुभ चौघड़िया
दोपहर 1.24 से 2.33 तक बल व विजय मुहूर्त,सुकर्मा योग
महामंत्री अनिशा सोनी पाण्डेय ने भैयादूज के सम्बन्ध में पौराणिक कथा बताते हुए कहा कि इस दिन यमराज जी अपनी बहन यमुना के घर गये थे। बहन के सत्कार से संतुष्ट होकर यमुना जी को आशीर्वाद वचन दिया कि जो भी भाई इस दिन बहन के घर स्नान व भोजन करेगा उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी। बहन को यथाशक्ति उपहार अवश्य देना चाहिए, जो बहन के द्वारा भैया का तिलक व ताम्बुल आदि से पूजन करती है वो कभी विधवा नहीं होती तथा इससे दोनों समृद्ध रहते है। संभव हो तो इस दिन यमुना नदी में स्नान करना चाहिए यह कथा तीनों लोकों में सुनी जाती है। इस दिन अपने घर में भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, एक दूसरी कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण नरकासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर गये थे और वही पर भोजन किया था और आशीर्वाद दिया था.
भैयादूज पूजन तिलक सामान विधि –
सूखा गोला, पान,सुपारी, कलावा, कौड़ी, सिक्का, रोली, अक्षत, चन्दन केसर, मिष्ठान्न आदि.
सर्वप्रथम बहन अपने घर भाई को आने के लिए निमंत्रण देती है घर आने के बाद शुद्ध आसान पर बैठाकर भाई का तिलक करती है, कलावा बांधती है तथा गोला हाथ में देती है, मनपसंद भोजन कराती है भाई उपहार स्वरुप कुछ द्रव्य व सामान आशीर्वाद के साथ देता है
विशेष ध्यान देने योग्य शास्त्रोंचित बात यह है कि शुभ फल प्राप्त हेतु इस दिन भाई को बहन के घर जाना चाहिए.
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