Sunday, December 22, 2024
Google search engine
HomeHapur City News || हापुड़ शहर न्यूज़जानिए धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन व भैयादूज का पूजन मुहूर्त

जानिए धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन व भैयादूज का पूजन मुहूर्त










जानिए धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन व भैयादूज का पूजन मुहूर्त

हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): दीपावली दिन मुहूर्त को लेकर उत्पन्न परिस्थितियों तथा भारत में इस विषय पर पंचांगो तथा विद्वानों में मतभिन्नता को देखते हुए भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा विद्वानों की बैठक दिल्ली रोड स्थित गाय वाला मंदिर हापुड़ में हुई जिसमें तिथि का दो दिन संजोग होने से पर्व व मुहूर्त के विषय में उत्पन्न संशय पर गहन विचार-विमर्श करके विद्वानों द्वारा शास्त्रोंचित मत निर्णय दिया गया।

महासभा अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय काशी वाले ने बताया कि दीपावली पर्व मात्र एक दिन का पर्व नहीं है। यह पंच दिवसीय लक्ष्मीपूजन पर्व है जो कर्मकाल तिथि वृद्धि होने से इस बाऱ 29 अक्टूबर मंगलवार धनतेरस से 3 नवम्बर रविवार भाईदूज 6 दिन रहेगा। दीपावली पर्व में रात्रि व प्रदोष के साथ प्रातःकालीन स्नान, लक्ष्मी पूजन निराजन के साथ मध्यान्ह, अपरान्ह श्राद्ध का भी उतना ही महत्त्व है जिसमें प्रदोष कालीन प्राप्त अमावस्या तिथि प्रमुख पर्व दिन है। अमावस्या तिथि 31अक्टूबर को दोपहर बाद 3 बजकर 53 मिनट से 1 नवम्बर शुक्रवार को सायंकाल 6 बजकर 16 मिनट तक है।

अन्य प्रमुख पर्व (होली, रक्षाबंधन दशहरा) में नक्षत्रों के महत्व की तरह दीपावली पर्व में भी तिथि के साथ स्वाति नक्षत्र का बहुत महत्व है। स्वाति नक्षत्र 31 अक्टूबर की देर रात 12.44 से 2 नवम्बर भोर 3.31 तक है। ज्योतिर्निबन्ध में नारद ने भी कहा है कि – इषासितचतुर्दश्यामिन्दुक्षयतिथावपि। ऊर्जादौ स्वातिसंयुक्ते तदा दीपावली भवेत्।।कुर्यात्संलग्नमेतच्च दीपोत्सवदिनत्रयम् ।।

इसका अर्थ ये है कि आश्विन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी में और अमावास्या तिथि में भी स्वाति नक्षत्र से संयुक्त कार्तिकमास के आदि में जो दीपावली होती है। उससे संलग्न ही तीन दिन तक दीपोत्सव करे अर्थात यही दीपावली है निर्णय सिंधु में कालादर्श व पुष्करपुराण के अनुसार

कार्तिकामावास्यायां प्रातरभ्यङ्गं कुर्यात् व स्वातिस्थिते रवाविन्दुर्यदि स्वातिगतो भवेत् । पञ्चत्वगुदकस्नायी कृताभ्यङ्गविधिर्नरः ।। नीराजितो महालक्ष्मीमर्चयन् श्रियमश्नुते ।।

अर्थात कार्तिक अमावस्या में प्रातःकाल स्नान अभ्याँग करना चाहिए व स्वाति में स्थित सूर्य में यदि स्वाति में गया चन्द्रमा हो तो पंचत्वचा के जल से मनुष्य अभ्यङ्गविधि कर स्नान करे और महालक्ष्मी का नीराजन करे तो लक्ष्मी को प्राप्त करता है। धर्मशास्त्रों अनुसार स्वाति नक्षत्र युक्त कार्तिक कृष्ण प्रदोष काल प्राप्त अमावस्या तिथि दीपावली श्रेष्ठ होती है। संरक्षक व परामर्श मंडल विद्वान डॉ0 वासुदेव शर्मा, पंडित कमलेश गिल्डियाल और आचार्य देवी प्रसाद तिवारी ने पक्ष रखा कि निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार दो दिन प्रदोष काल में अमावस्या प्राप्त होने या दो दिन अमावस्या होने पर यदि अगले दिन साढ़े तीन पहर से अधिक अमावस्या तिथि है तो अगले दिन ही दीपावली बताया गया है।

01 नवम्बर शुक्रवार को उदयाकालीन अमावस्या पूरे दिन व प्रदोष में भी प्राप्त है। अतः सर्व सम्मति से विद्वानों ने निर्णय दिया कि दीपावली पर्व 01 नवम्बर शुक्रवार को शास्त्र सम्मत है। 6 दिनों तक चलने वाले पर्व की शुरुआत कार्तिक कृष्ण त्रयोंदशी (धनतेरस) से होगी जो 29 अक्टूबर मंगलवार को है। पुराणों के अनुसार धनतेरस के दिन ही धन्वंतरि अमृत कलश लेकर व माँ लक्ष्मी जी भी समुद्र मंथन से इसी दिन प्रकट हुई थी। अतः इस दिन स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए धन के स्वामी कुबेर, देव धन्वंतरी व लक्ष्मी जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यतानुसार धनतेरस के दिन सोना -चांदी,बर्तन या कोई धातु की वस्तु अवश्य खरीदना चाहिए, श्री लक्ष्मी -गणेश जी की मूर्ति, बहीखाता, झाड़ू व पूजन सामग्री के साथ नई वस्तुओं को खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। त्रयोंदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10.32 से आरम्भ होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 तक रहेगी इस बीच खरीददारी करना शुभ रहेगा, धनतेरस पूजन 29 अक्टूबर मंगलवार शाम को होगा। पंडित संतोष तिवारी ने बताया कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि जिसे नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी जिसे परम्परा में छोटी दिवाली कहते है दीपदान व अभ्यंग स्नान (उबटन लगाकर ) सूर्योदय से पूर्व का महत्व है निर्णय सिंधु ग्रंथ में लिखा है कार्तिककृष्णचतुर्दश्यां प्रभाते चन्द्रोदयेऽभ्यङ्गं कुर्यात्।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रातःकाल चन्द्रोदय (अर्थात् – अभ्यंग स्नान में चन्द्रोदय-कालिनी चतुर्दशी ग्रहण करे।)

चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर दोपहर 1.15 से 31अक्टूबर अपरान्ह 3.53 तक है 31 अक्टूबर को चंन्द्रोदय सुबह 5.17 बजे से है अतः चंन्द्रोदय युक्त चतुर्दशी तिथि प्राप्त होने से रुप चतुर्दशी अभ्यंग स्नान 31 अक्टूबर को होगा इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है नरक की प्राप्ति नहीं होती है तथा लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है इसी निशीथकाल में कालीचौदस की पूजा होगी, दीपदान,यमदीपक 30 अक्टूबर को सायंकालीन होगा पौराणिक मान्यतानुसार कुछ स्थानों पर इस दिन हनुमानजी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है गोवर्धन पूजा 02 नवम्बर को सुबह शास्त्र सम्मत है प्रायः पश्चिम क्षेत्र में सायंकाल में भी गोवर्धन पूजा करते है व्रत पर्व विधिज्ञा अनिशा सोनी पाण्डेय ने कहा कि भैयादूज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया (भैयादूज ) अपरान्ह कालीन पर्व है इस दिन यमराज जी अपनी बहन यमुना के घर गये थे जहाँ पर यमुना जी को आशीर्वाद वचन दिया कि जो भी भाई इस दिन बहन के घर स्नान व भोजन करेगा उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी बहन को यथाशक्ति उपहार अवश्य देना चाहिए, बहन द्वारा भैया का तिलक पूजन कर ताम्बुल, नारियल आदि प्रदान करती है तो वो कभी विधवा नहीं होती तथा इससे दोनों समृद्ध रहते है संभव हो तो भाई बहन को इस दिन यमुना नदी में स्नान करना चाहिए यह कथा तीनों लोकों में सुनी जाती है इस दिन भाई को अपने घर में भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए. द्वितीया तिथि  2 नवम्बर की रात्रि 8.22 बजे से शुरू होकर 03 नवम्बर रविवार की रात्रि 10.05 तक है अतः भैयादूज 3 नवम्बर को है इसमें कोई संशय नहीं है पर्व निर्णय के सम्बन्ध में संरक्षक अखिलेश शर्मा गुरु जी ,पंडित अजय पाण्डेय, ओम प्रकाश पोखरियाल, पंडित ऋषि शर्मा,  पंडित जगदंबा शर्मा, पंडित संतोष तिवारी, अनिशा सोनी पाण्डेय,पंडित नन्दकिशोर वाजपेयी,दुर्गा शरण वाजपेयी, पंडित शिवम पाण्डेय, पंडित आदित्य भारद्वाज, पंडित सर्वेश तिवारी, पंडित गौरव कौशिक, पंडित शैलेन्द्र मिश्रा शास्त्री, पंडित पंकज पाण्डेय, पंडित आशुतोष द्विवेदी, पंडित सुबोध, पंडित आशुतोष शुक्ला, पंडित आशीष आदि ने अपना विचार मत रखा.धनतेरस, नरक चतुर्दशी,रुप चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा तथा भैयादूज पर्व पर पुरे भारत के समस्त ज्योतिषीय विद्वान व पंचांगकार एकमत है कोई मतभिन्नता नहीं है

शुभ धनतेरस पूजन मुहूर्त –

29 अक्टूबर 2024, मंगलवार

सायं 7.12से 8.49 स्थिर लग्न,लाभ चौघड़िया

खरीददारी शुभ मुहूर्त –

सुबह 06.33 से दोपहर 1.23 लाभ चौघड़िया,अभिजीत व अमृत चोघड़िया

दोपहर बाद 2.49 से 4.12 तक शुभ

 सायं 7.12 से 8.49 तक लाभ

30 अक्टूबर 2024 बुधवार धनतेरस खरीददारी मुहूर्त-

सुबह 6.34 से 9.16 तक

दोपहर 10.39 से 12.02 तक

नरक चतुर्दशी

30 अक्टूबर 2024 बुधवार

यम दीपदान – सांयकाल, हनुमान जयंती पूजन सायं 6.26 से 8.22 तक

रुप चतुर्दशी

31 अक्टूबर 2024 वृहस्पतिवार

अभ्याँग स्नान – प्रातः 4.59 से सूर्योदय तक

पार्वण श्राद्ध व दीपावली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त :-

01 नवम्बर 2024 शुक्रवार

पार्वण श्राद्ध दोपहर 12 बजे से 3.15 तक

लक्ष्मी पूजन सायं 5.29 से 8.14 प्रदोषकाल स्थिर लग्न

रात 8.47से 10.24 के बीच भी पूजन व अन्य शुभ कार्य कर सकते है.

निशीथकाल पूजन-

रात 12.02 से 3.08 तक शुभ, अमृत चौघड़िया, स्थिर लग्न

गोबर्धन पूजा मुहूर्त-

02 नवंबर सुबह 7.56 से 9.19 तक तथा सायं 5.32 से 8.10 तक

भैयादूज स्नान,तिलक, पूजन, भोजन मुहूर्त:-

03 नवम्बर, रविवार

सुबह 9.17 से 12.02

दोपहर 01.24 से 2.47 तक

सायं 5.31 से रात 10.05 तक

नोट – शुभ दीपावली पूजन 01 नवम्बर को सुबह से रात्रि तक अलग अलग कार्य के लिए अलग शुभ लग्न मुहूर्त में भी किया जा सकता है

एक घर हो अपना…. अब पूरा होगा सपना… संपर्क करें: 9756129288 पर

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!