हापुड़, सीमन (ehapurnews.com) : जनपद हापुड़ में मासूमों के साथ इस तरह खिलवाड़ किया जा रहा है कि जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। एक तो फूड प्वॉइजनिंग का शिकार हुए 11 छात्रों के बीमार होने का दोष बढ़ते तापमान पर मंढा जा रहा है तो वहीं एक पलंग पर तीन-तीन बच्चों को लेटाया जा रहा है। अधिकारी तब जागे जब छात्रों की जान पर बन आई। ऐसे में जरा सी देरी जानलेवा साबित हो सकती थी। आईए बताते हैं कि आखिर माजरा क्या है? थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के कुचेसर चौपला स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में शनिवार की रात को खाना खाने के बाद कक्षा आठ की 11 छात्राओं को पेट दर्द और उल्टियां शुरु हो गईं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। ऐसे में एक बेड पर दो से तीन छात्रों का इलाज शुरु किया गया। छात्रों ने बताया कि खाना खाने के बाद उन्हें उल्टियां शुरु हो गई और तबीयत बिगड़ गई। वहीं शिक्षकों का कहना है कि बढ़ते तापमान की वजह से छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई।
छात्रा साक्षी, मंजू, कनिष्का, दीपिका, सृष्टि, दिपांशी, खुशी, प्रीति, तनु, दीपा तथा तनिष्का की तबीयत बिगड़ गई। ऐसे में सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां स्वास्थ्य विभाग की भी पोल खुल गई। एक बेड पर तीन छात्रों को उपचार शुरु किया गया। इसका मतलब यह हुआ कि हापुड़ को आपातकाल से निपटने के लिए बैसाखी की जरुरत है। बताया जा रहा है कि जहरीले करेला खाने से छात्रों की तबीयत बिगड़ी है जिसकी सैंपलिंग के निर्देश फूड इंस्पेक्टर को दे दिए गए हैं। वहीं शिक्षकों की मानें तो तापमान अधिक होने की वजह से छात्राओं की तबीयत बिगड़ी। ऐसे में गर्मी से निजात दिलाने के लिए पहले से ही विशेष प्रबंध क्यों नहीं किए गए? साथ ही फूड इंस्पेक्टरों का निरीक्षण भी संदेह के घेरे में हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।